Wednesday 9 December 2015

सर्दी

मौसम हैं ये खामोशी का, और लफ्ज बे जुबान हैं
पल भर के इन कोहरों को, न जाने कैसा गुमान हैं
बेचैनी का ये मंजर आखिर बयाँ करे तो कैसे करे
इश्क विश्क कौनो पता नाही हम तो सर्दी से परेशाँ हैं।
~ अनामिका

Friday 27 November 2015

खुद्दारी को मेरे वो फिजूल कहते हैं...

खुद्दारी को मेरे वो फिजूल कहते हैं
कोई बताए उन्हें, इसे उसूल कहते हैं।
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मोहब्बत के जोखिम से जिंदगी को जाना हैं
और दुनिया वाले हैं, की इसे भूल कहते हैं।
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लाखों बातें करके भी दिल जुड़ नहीं पाते
और रिश्ता जुडते वक्त महज कबूल कहते हैं।

Wednesday 18 November 2015

ऐसा नहीं की आरजुएँ किसी की कत्ल नहीं होती....

ऐसा नहीं की आरजुएँ किसी की कत्ल नहीं होती
बात ये हैं की इतनी सच्ची कोई शक्ल नहीं होती।
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यूँ तो चेहरों से छलकती हैं तमाम खुशियाँ लोगों के
पर चैन और सुकून की किसी से, नकल नहीं होती।
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हुक्म हो मौसम का, तो झुकना पड़ता हैं मजबूरी में
जानबूझकर कभी बेवफा, कोई फसल नहीं होती।
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वाह वाह तो मिल जाती हैं दिल से निकले शेरों पे
पर कहते हैं, की बिना बहर के गजल नहीं होती।
~ अनामिका

Sunday 8 November 2015

उन्हें भुलके उन पर इक एहसान कर आएं हैं....

उन्हें भुलके उन पर इक एहसान कर आएं हैं
जरा देखिए हम मुनाफे में नुकसान कर आएं हैं।
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बड़ी नाजो से संभाले थे इक अरसे से जो गुलाब
आज अपने ही गुलिस्ताँ को हम शमशान कर आएं हैं।
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अपनी ही मिल्कीयत में वो था जो दिल अब तक
उसी दहलीज पे खुद को इक मेहमान कर आएं हैं
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इस खामोशी से निभाया फर्ज सच्ची मोहब्बत का
की लगता हैं अब खुद को हम बेजुबान कर आएं हैं।
~ अनामिका

Thursday 5 November 2015

जो शिकवे थे बरसों से....

जो शिकवे थे बरसों से वो पल में खत्म हो गए
ये मेहरबानी थी हमपे, या नए सितम हो गए।
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न हमसे कोई नाराजगी, और मोहब्बत भी हमीसे
हैरत हैं के हमको भी ये कैसे कैसे भरम हो गए।
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आखिर मोहब्बत से आजादी? वाह क्या सजा हैं
चलो शुक्र हैं ऐ मालिक, तेरे हमपे करम हो गए।
~ अनामिका

Wednesday 4 November 2015

झरने

बिछडते वक्त उसकी आँखो में क्या देखा था
अब रास्तो में मेरे, कई झरने आते रहते हैं।

Wednesday 28 October 2015

मैंने महसूस किया उसके अच्छे हालात नहीं....

मैंने महसूस किया उसके अच्छे हालात नहीं
वर्ना खून मेरा न खोले, ऐसी कोई बात नहीं।
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दुश्मनी पे उतरू तो खाक हो जाए दोस्ती भी
पर इंसानियत भूल जाऊँ, ऐसी मेरी जात नहीं।
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पाकीजा नियत को, बुजदिल ही कहगा जमाना
मश्वरा भी वो देंगे हैं जिनकी खुदकी औकात नहीं
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फकीर की भी झोली से दुआए बटोरी जाती हैं
बेमतलब इक सिक्के की भी, कोई खैरात नहीं।
~ अनामिका

Sunday 25 October 2015

बेवजह हँसना मुझे खुमारी लगती हैं...

बेवजह हँसना मुझे खुमारी लगती हैं
पागल न समझो जिन्हें ये बीमारी लगती हैं।
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जिम्मेदारीयाँ हैं जो टूटने नहीं देती
वर्ना तनहाई किसे प्यारी लगती हैं।
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चल रही हैं साँसे पर तेरे इंतजार में
मेरी ये मुझी से गद्दारी लगती हैं।
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कल की खुशी से आज का क्या ताल्लूक
वो मीठी यादें अब खारी लगती हैं।
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छोडके जाना तेरी मजबूरी थी मगर
मुझे तो ये दुनियादारी लगती हैं।
~ अनामिका

Friday 23 October 2015

जिंदगी तो कट जाती हैं....

हम दोनों की जिंदगीयाँ जोड़ने के लिए वो मसरूफ था बहुत... शायद भुल गया था की जुड़ते तो सिर्फ लहमे हैं, जिंदगी तो कट जाती हैं....
~ अनामिका

Monday 19 October 2015

यादों को न याद दिला...

यादों को न याद दिला, कभी न कभी ठहर जाएगी
बिखरी पड़ी जिंदगी हैं, आज या कल में सवर जाएगी
तेरी मोहब्बत तो फिर भी, दो ही दिन का फसाना थी
मेरी नफरत जो आएगी, कयामत बन के गुजर जाएगी।
~ अनामिका

Friday 16 October 2015

वक्त खराब हो तो ज्यादा उड़ा नहीं करते....

बेवकूफों की समझदार बातों में कभी पड़ा नहीं करते
भैया वक्त अगर खराब हो तो ज्यादा उड़ा नहीं करते।
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अरे बड़े ही लोग होते हैं ये अखबारों में छलकने वाले
तस्वीर के लिए ये काम कोई अधूरा छोडा नहीं करते।
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खामोशी से भी जताई जाती हैं गलतियाँ महबूब की
सच्ची मोहब्बत मे यूँ बात बात पे लड़ा नहीं करते।
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गरीबी में भी खुद्दारी के बखूबी नाज नखरे उठाएँ मैंने
जनाब यूँ ही दाम इज्जत के यहाँ बढ़ा नहीं करते।
~ अनामिका

Thursday 15 October 2015

बताना मुझे नहीं आया तो जताना उसे नहीं आया....

अधूरी मोहब्बत निभाना आखिर किसे नहीं आया?
बताना मुझे नहीं आया, तो जताना उसे नहीं आया।
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यूँ तो बिछाए हर तरफ जाल ही जाल थे मोहब्बत के
फसाना मुझे नहीं आया तो छुडाना उसे नहीं आया।
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चुप्पी में भी जज्बातों की शिकायत बखूबी हुई  लेकिन
सताना मुझे नहीं आया तो मनाना उसे नहीं आया।
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अपनी अपनी जिंदगी के बस अपने अपने लम्हे
हँसाना मुझे नहीं आया तो रुलाना उसे नहीं आया।
~ अनामिका

Thursday 8 October 2015

मेरे कृष्ण मुरारी....

ओ बांके बिहारी
ओ मेरे कृष्ण मुरारी
मेरी सुनलो अर्ज जरासी
मैं हूँ तोहरी दासी
कान्हा मैं हूँ तोहरी दासी।।
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तू ही जाने मन की पीड़ा जाने सुःख दुःख सारा
पढ लो मन की बात मनोहर तुझपे जीवन हारा
ना मथुरा ना गोवर्धन
ना भाए ब्रिज ना काशी
मन में आस तेरे चरणों की
मैं हूँ तोहरी दासी
कान्हा मैं हूँ तोहरी दासी।।
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पनघट पे संसार के गोविंद गगरियाँ मोरी भर दो
भुलि जग की मोह माया, भवबंधन से मुक्त कर दो
साज श्रृंगार ये दर्पण फिका
फिकी हैं धनराशि
त्रिष्णा मन की एक ही जाने
किशन मिलन को प्यासी
कान्हा मैं हूँ तोहरी दासी।।
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ओ बांके बिहारी
ओ मेरे क्रृष्ण मुरारी
मेरी सुनलो अर्ज जरासी
मैं हूँ तोहरी दासी
कान्हा मैं हूँ तोहरी दासी।।
~ अनामिका

Monday 5 October 2015

नफरत नफरत होती हैं....

नफरत नफरत होती हैं, उसका तरीका नहीं होता
दुश्मनों में कभी तहजीब और सलिका नहीं होता।
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जरा सी शोहरत कि लहर से उछलने लगता हैं बच्चा
पर पेड़ कभी टहनी के दम पे टिका नहीं होता।
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पुराने वक्त की चीजें आज में बेकार समझी जाती हैं
पर मोल जिसका हैं ही नहीं ऐसा सिक्का नहीं होता
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खोखली सोच छीन लेती हैं बैगुनाह घरों की मिठास
बेवजह जायका सेवैयों का फिका नहीं होता।
~ अनामिका

खोखली सोच...

खोखली सोच छीन लेती हैं बैगुनाह घरों की मिठास
बेवजह जायका सेवैयों का फिका नहीं होता।

Saturday 3 October 2015

ऐ जिंदगी तेरे रफ्तार ने...

ए जिंदगी तेरे रफ्तार ने ये बखूबी सिखाया हैं... के दिन तेजी से गुजरते हैं, वक्त नहीं गुजरता....
~ अनामिका

नजरे साठी नजर...

नजरे साठी नजर जेव्हा दिलदार होते
इशार्यातूनी हितगुज मग थोडीफार होते.
अंतरालाही अंतरून, क्षणात मिटतो दूरावा
तू मला जिंकतोस, आणि माझी हार होते.
~ अनामिका

Friday 2 October 2015

वहाँ दिये तो जलते हैं मगर रोशनाई नहीं होती...

वहाँ दिये तो जल ते हैं मगर रोशनाई नहीं होती
तवायफों के मुकद्दर में कभी शहनाई नहीं होती।
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हुक्म था पंखों का अब दुनियादारी निभाई जाएँ
वर्ना परिंदे की पेड़ से कभी बेवफाई नहीं होती।
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जज्बातों से बखूबी खेला, लफ्जों को मापा तोला नहीं
वर्ना कभी की महफिलों में यूँ रुसवाई नहीं होती।।
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तमाम मुल्क की आवाम भी अब दंगो पर उतर आती हैं
फकत खिताब मिलने से यहाँ बादशाही नहीं होती।
~ अनामिका

Thursday 24 September 2015

कोई भी चीज अना से ज्यादा जरूरी नहीं होती....

कोई भी चीज अना से ज्यादा जरूरी नहीं होती
गरीब हूँ तो खुद्दारी से, मुझसे जी हुजूरी नहीं होती।
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हार गई पहली मोहब्बत तो दूसरी मिल ही जाती हैं
पर महकने वाली हर खुशबू यहाँ कस्तूरी नहीं होती।
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धीरे धीरे टूट जाता हैं चमकता सितारा भी अक्सर
फिर भी तमन्ना कुछ चाँदनीयों की  पूरी नहीं होती।
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कहानी अपने जिंदगी की इत्मिनान से पढनी चाहिए
मुकम्मल नहीं तो ना सही,  पर अधूरी नहीं होती।
~अनामिका

Wednesday 23 September 2015

शराबो की महफील में भी....

शराबों की महफिल में भी जहर घोल के आते हैं
लफ्ज मेरे, शायरी मेरी और लोग बोल के आते हैं।
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बरसों से जो जमा थे वो सारे ही सिक्के खोटे निकले
सोचा था जिन्हें मुसीबत में, हम भी तोल के आते हैं।
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गरीबी में क्या बातें करना ये कैसा और वो कैसा
अमीर *माजी के पुर्जे जरा अपने भी टटोल के आते हैं
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मशहूर ना कर दे जमाना उसे मेरी बेखौफ नजरों से
इजाजत हो तो दिल के राज हम भी खोल के आते हैं।
~ अनामिका
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माजी= past

Monday 21 September 2015

नासमझ वो कहता हैं...

नासमझ वो कहता हैं मैं रिश्ता मिटाने को आता हूँ
मैं तो झगड़-झगड़ के मोहब्बत जताने को आता हूँ।
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फासलो से कहाँ मिटती हैं बेचैनियाँ ये दिलों की
मैं तो यूँ टकरा के मोहब्बत निभाने को आता हूँ।
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हँसने वाले कहाँ कभी सच्ची मोहब्बत करते हैं
तुझे मैं जानता हूँ तभी तो रूलाने को आता हूँ।
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खामोशी भी कर देती हैं ख्वाहिशें दिल की बयान
मैं भी सब समझता हूँ, ये समझाने को आता हूँ।
~ अनामिका

Saturday 19 September 2015

ख्वाब जो सारे....

ख्वाब जो सारे,  ख्वाबों में पले हैं
हकीकत ये हैं की हकीकत से जले हैं।
सुरज सा चमकना भी क्या चमकना यारो
ख्वाबों के आफताब भी अंधेरों में ढले हैं।
~ अनामिका

Friday 18 September 2015

मैं बारिश के मजे लूट रहा था....

मैं बारिश के मजे लूट रहा था तब उसे घर लौटते देखा
जिसने छत दिलाया उस बाप की ही फटी छत्री थी।
~ अनामिका

Wednesday 16 September 2015

तेरी मोहब्बत में रंग के जब से रंगीन हो गया हूँ....

तेरी मोहब्बत में रंग के जबसे रंगीन हो गया हूँ
आवारा था किसी रोज, अब संगीन हो गया हूँ।
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मौजूदगी तेरी जिंदगी में मुझे मुकम्मल करती हैं
पर तुझे खोने के खौफ से, गमगीन हो गया हूँ।
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तमाम नजारे दुनिया के पलट के कभी देखे नहीं
दिदार तेरा जबसे हुआ, अब शौकीन हो गया हूँ।
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ख्वाहिशे और हसरते तो तमाम थी जिंदगी में
तुझसे क्या मिलना हुआ, मुतमईन हो गया हूँ।
~ अनामिका

Monday 14 September 2015

जो बेवफाई में तू मेरा हैं तो मुझे हर्ज न था...

भले ही कीस्सा बेवफाई का कहीं दर्ज न था
जो बेवफाई में तू मेरा हैं, तो मुझे हर्ज न था।
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तूने समझा की मुझे समझाना तेरा फर्ज न था
तो मैं अंजान ही बनकर रहता, मुझे हर्ज न था।
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मेरी जान के सिवा, और तूझपर कोई कर्ज न था
तू कीश्तो में साँसे लौटा ता, मुझे हर्ज न था।
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एक तेरी ही लत थी मुझे, और कोई मर्ज न था
चल तू फरेबी ही सही, पर मुझे हर्ज न था।
~ अनामिका

Friday 11 September 2015

खुदा

ख्वाहिश थी जिसकी बरसों से, मिला नहीं और जुदा हो गया
फरीश्ता समझा एक मुद्दत से जिसे, पलक झपकते ही खुदा हो गया।
~अनामिका

Wednesday 9 September 2015

नादानीयों के आड़े....

नादानीयों के आड़े, इक शीशे का महल तोड़ा था कभी... आज एक पत्थर क्या मेरी दहलीज पे आया, बचपना छूट रहा हैं मेरा....
~अनामिका

Sunday 6 September 2015

मोहब्बत की बेडियों से तुझे आजाद कर दिया....

मोहब्बत की बेडियों से तुझे आझाद कर दिया
तू देख मेरी बर्बादी को, मैंने आबाद कर दिया।
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ना झुकने दिया तुझे, ना टूटने दिया खुद को
देख अपनी कमजोरी को, मैंने फौलाद कर दिया।
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फना होना लाजिम हैं इश्क के सौदागरों का
हारकर मैंने मोहब्बत को जिंदाबाद कर दिया।
~अनामिका

Saturday 5 September 2015

बागी

हादसा जो गुजरा तो खबरों में आ गया
मासूम जो बिखरा तो नजरों में आ गया
खुदा की मिल्कीयत पे बागी हैं इंसान
और खाँमखाँ इल्जाम लहरों पे आ गया
~अनामिका

हा... तनहा हूँ...

हा... तनहा हूँ....
ना दिन का अंदाजा हैं
ना रातों का होश हैं....
एक मुद्दत से मेरे अंदर
मेरा अक्स बेहोश हैं...
ये टिक टिक करते घड़ी के काटे
कानों को छूँती ये हवाओं की गुंज...
लगता हैं जैसे earphones मे
full volume पे इन्हे सुन रहीं हूँ...
हा... तनहा हूँ...
ये mobile की screen
इसपे थीरकती ये उँगलियाँ...
ना कोई वजह हैं
ना कुछ बेवजह हैं....
एक दीवार... एक तकीया...
एक corner... एक charger...
वहीं रोज की जगह
हा... तनहा हूँ....
ये अँधेरा, ये खामोशी
ये रातों का जागना...
कुछ किस्से, कुछ यादे
ये ख्यालो का भागना....
वो कल, ये आज..
कुछ अनसूलझे राज...
वो वक्त,वो दौर...
वो दोस्त, वो सब...
ये मैं, ये कलम
ये चाय का कप...
हा... तनहा हूँ...
ये आँखे... ये लोग..
ये तनहाई का रोग...
ना कोई ठिकाना,
ना कोई रास्ता
ना कोई रिश्ता
ना किसी से वास्ता...
हा...बस... तनहा हूँ....
~ अनामिका

Friday 4 September 2015

आज सल्तनत में तकदिरों से राज नहीं होता...

आज सल्तनत में तकदिरों से राज नहीं होता
अब हर शहजादे के सर पर, ताज नहीं होता।
.
एक ही मिट्टी में मिलता हैं आतंकी और सिपाही
लेकिन हर कब्र को जनाजे पे नाज नहीं होता।
.
कसम खाकर किसी को, कहाँ हजम होती हैं
जिंदा सीने में दफन कोई राज नहीं होता।
.
जिंदगी की दौड़ में जब मंजिल करीब लगने लगें
तो ये वो अंजाम हैं, जिसका आगाज नहीं होता।
~ अनामिका

Thursday 3 September 2015

हसना जरूरी हैं...

शायर होना मुश्किल हैं
शायरी हैं इक फन
one two का four
और four two का one :D :P
.
कलाई में चुडियाँ
चुडियों की खनक
कोलगेट हैं tasty
क्यूँ की उसमें हैं नमक
.
chocolates are sweet
babies are cute
break up हो गया तेरा मेरा
तो चल अब फूट :D
.
नदियाँ हैं मिठी
समुंदर हैं खारा
आखिर इस बाहुबली को
कटप्पा ने क्यूँ मारा? :o :o
.
Swiss bank में काला धन
कौन हैं देश का चोर
सावन का महीना
और पवन करें शोर :P
.
इश्क में तेरे हारके
मैं भुलू दुनिया सारी
धुम्रपान हैं हानिकारक
जनहित में जारी। :v
.
पड़ोसी हैं china
china में हैं makau
ऊपर का बहुत हुआ
और कितना पकाऊ? :v
.
जिंदगी में खुशियाँ ही
salary है और pension
तो उडाओ इन्हे जी भर के
क्यूँ लेते हो tension? :) :)
.
बचपन चला गया
बचपना नहीं गया
CID का joke तो बनता हैं
दरवाजा तोडो दया :D :P
~ अनामिका

हा... हर कोई भाग रहा हैं...

हा... भाग रहा हैं
हर कोई भाग रहा हैं
कोई जीतने के लिए भाग रहा हैं
कोई किसी के पीछे भाग रहा हैं
तो कोई खुद से पीछा छुड़ा के भाग रहा हैं
किसी को कहीं पहुँचना हैं
किसी को कुछ जीतना हैं
तो किसी को गुम हो जाना हैं
हा... हर कोई भाग रहा हैं
कोई पैरों से भाग रहा हैं
तो कोई ख्यालो से भाग रहा हैं
कोई जिंदादिली से भाग रहा हैं
तो कोई मजबूरी से भाग रहा हैं
कोई कदम रुकते ही डर जाता हैं
कोई खयाल छुटते ही डर जाताहैं
किसी को भागने की खुशी
तो कोई रुकने के डर से भाग रहा हैं
किसी का हौसला भाग रहा हैं
तो किसी का डर भाग रहा हैं
हा...हर कोई भाग रहा हैं...
~ अनामिका

Wednesday 2 September 2015

तनहा कर दिया दुनिया वालों ने..

तनहा कर दिया दुनिया वालों ने दुनियादारी कि भीड़ से
के गर्दिशो में जब से मेरे सितारे रहने लगे हैं।
~अनामिका

Monday 31 August 2015

खामोश हवाएँ आवारा हो जाती हैं...

तुम सोच समझ के टहला करो खुले बालों से छत पे
खाँगखाँ खामोश बहती हवाएँ आवारा हो जाती हैं।
~अनामिका

Saturday 29 August 2015

हारे हुए रिश्तों की अक्सर यही हालत रह जाती हैं....

हारे हुए रिश्तों की अक्सर यही हालत रह जाती हैं
लोगों की मोहब्बत रहती नहीं पर आदत रह जाती हैं।
.
तनहाई का सौदा वैसे इतना भी घाटे में नहीं चलता
बेचैनी नहीं बसती विराने में, बस राहत रह जाती हैं।
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बदलते हुए हालातों से समझौता तो हो जाता हैं पर
कोई चाहें या ना चाहें, चुपके से चाहत रह जाती हैं।
.
लेन-देन के मामलों में तो यादें लौटाना नामुमकिन हैं
अपनी वहाँ तो किसी की यहाँ ये अमानत रह जाती हैं।
~ अनामिका

Thursday 27 August 2015

इबादत और मोहब्बत में फर्क....

इबादत और मोहब्बत में सिर्फ इतना ही फर्क हैं....
अक्सर लोग मोहब्बत को जहन में ही रखते हैं, जुबान तक नहीं लाते...
और इबादत सिर्फ जुबान के लिए रखते हैं, जहन में नहीं रखते।
~ अनामिका

गुनाह कल कर के थक गया हूँ मालिक....

गुनाह कर कर के थक गया हूँ मालिक,
हो सके तो थोडी रजा दे दे
.
रहम-ओ-करम से तेरे शर्म आती हैं,
आखिरी रहम कर अब सजा दे दे
.
रखकर तुझे जुबान पे अक्सर
मैं जहन से निकाल देता हूँ तुझे
.
ऐसा मैं इक फरेबी हूँ मालिक
तू जीने कि जायज वजह दे दे।
~ अनामिका

Wednesday 26 August 2015

माना सातों सुरों पे....

माना सातों सुरों पे तेरी हुकूमत हैं ऐ सितार
सितारपर तू दिल में तभी उतरती हैं जब उँगलियों में हुनर हो।
~अनामिका

खामोश हवाएँ...

छोड़ दिया खुले बाल यूँ छत पे टहलना
खामोश बहती हवाएँ भी आवारा हो जाती हैं।
~ अनामिका

Tuesday 25 August 2015

माना ये मुकद्दर हैं....

माना ये मुकद्दर हैं, काला कौआ सफेद नहीं रहता
भीड़ के देखो काले रंग से, मिट जाते हो भेद नहीं रहता
चलो मैं पीतल हि सही, सोने जैसी किस्मत तो नहीं
पर खुश हूँ कि आजाद हूँ, कमसे कम कैद नहीं रहता।
~ अनामिका

Saturday 22 August 2015

वो महफिलों का वजीर-ए-आलम....

वो महफिलों का वजीर-ए-आलम, सिपाही ढूँढता रहा
मैं मुफलिस बिखरे मुस्तकबील कि गवाही ढूँढता रहा।
वो आया, मुस्कूराया, जुबान खोली और चल दिया
और यहाँ मैं था, जो कलम के लिए स्याही ढूँढता रहा।
~ अनामिका

Thursday 20 August 2015

अमन से रहना सिखों....

अमन से रहना सिखों, हर वक्त बवाल नहीं चलते
इबादतों से भर लो झोली, वहाँ कंगाल नहीं चलते
मनमानी कि आदत हैं तो बदल जाओ अभी वक्त हैं
जब सामना होता हैं खुदा से,अपने सवाल नहीं चलते।
~ अनामिका

Sunday 16 August 2015

अपनी खुद्दारी पे पलता है गम..

अपनी खुद्दारी पे पलता हैं गम इसका सहारा नहीं होता
सीने में मिल्कीयत होती हैं इसकी, ये बंजारा नहीं होता।
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तुम ढील जैसी देते जाओ वैसी ही पतंग उडती हैं
खाँमखाँ ही कोई धागा यहाँ आवारा नहीं होता।
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पसीने के श्रींगार से सजी माँ की खूबसूरती देखो कभी
इससे सुंदर दुनिया में कोई नजारा नहीं होता।
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कष्ती पानी में छोड़ो गे तो बह ही जाएगी धीरे धीरे
जो रोक ले उसे इतना वफादार किनारा नहीं होता।
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वो अनशन में हो शामिल या फिर शामिल किसी मोर्चे में
अगर वो संसद का कोई बंदा हैं, तो बेचारा नहीं होता।
~ अनामिका

Friday 14 August 2015

इतिहास भी सलामी देता है....

इतिहास भी सलामी देता हैं, कुछ ऐसी कहानी दिखाएँगे
तुम हिन्दुस्तान आओ, तुम्हे असली कुर्बानी दिखाएँगे।
कभी बुरी नजर से ना देखना मेरी वतन की और यारों
वर्ना हिन्दुस्तान हि नहीं, तुम्हे हिन्दुस्तानी क्या हैं दिखाएँगे।
~ अनामिका

Thursday 13 August 2015

भ्रम

मैंने ही सब जीता हैं, बस इसी वहम में रहता हैं
करनी तेरी होती हैं मालिक, इंसान भ्रम में रहता हैं।
~ अनामिका

तजुर्बा

यूँ ही नहीं छिपती शरारतें चेहरों से
तजुर्बा आड़े आता हैं पर्दा बनकर।
~ अनामिका

ईल्जाम

ईल्जाम ना दो तूफानों  को जो छत खोखली कर गए
कुछ कसूर तो अपना भी था, घर ही अपने कच्चे थे।
~ अनामिका

Saturday 8 August 2015

अल्लादिन का चिराग

जवानी कि रोशनाई भी फिकी पड जाती हैं उस वक्त
जब बचपन वाला अल्लादिन का चिराग याद आता हैं।
~ अनामिका

जमाने कि हँसी को....

जमाने कि हँसी को गमों का खुराक बना दिया
इसी तरह अपने गुनाहों को मैंने पाक बना दिया
जद्दोजहद में उलझ गए थे कई जरूरी किस्से
उनसे पिछा छुड़ाने के वास्ते उन्हें मजाक बना दिया।
~ अनामिका

Thursday 6 August 2015

जबसे देखा नहीं उसने....

जब से देखा नहीं उसने ऐसा मेरा रंग लगने लगा हैं
कि लगता हैं जैसे सोने पर भी जंग लगने लगा हैं।
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बचत आजकल के बच्चे कुछ इस तरह करने लगे हैं
जनाजे पर बाप का कफन भी अब तंग लगने लगा हैं।
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जिंदगी कि चुनौतीयों को जबसे रब कि मर्जी समझा हैं
मेरा जीना भी वो बेखौफ उडता सा पतंग लगने लगा हैं।
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वाकिफ हो गई हैं जुबान भी तरह तरह के जायको से
जबसे उसका बदला बदला सा ढंग लगने लगा हैं।
~ अनामिका

Wednesday 5 August 2015

भाई

मेरे जख्म उसने देखें, तब दवाई कि याद आईं
उसकी तरक्की मैंने देखी, तब मिठाई कि याद आईं
सुबह लड़ाई करके जिसे दो बातें सुनाई थी
शाम को खामोशी सुनी, तो भाई की याद आईं
~ अनामिका

Tuesday 4 August 2015

लम्हे

जो गया जिंदगी से, उसका गम हैं पर गिला नहीं... जो लम्हे उसने दिए... मेरी हैसियत से बढ़कर दिए...
~ अनामिका

तूफान का अंदाजा होकर भी....

तूफान का अंदाजा होकर भी जो जीद पे अडे रहेंगे
पंछी पिंजरे से जो निकलेंगे तो जमीन पे पड़े रहेंगे।

वक्त बचाने के लिए जो रेल कि पटरी लांघ के भागते हैं
बिल्ली जो रास्ता काँटे तो देर तक वहीं खड़े रहेंगे।

विरासत के कारोबार में जो गल्ले पे बैठे रहते है
बाजार में अठन्नि चवन्नि कि भी, गिनती में बिगडे रहेंगे।

अधूरी मोहब्बत आंशिको को इस तरह असर करती हैं
सरेआम इश्क छिपता नहीं तो नफरतों में जकड़े रहेंगे।
~ अनामिका

Monday 3 August 2015

जीने में जान तो हो।

जिंदगी किसी मोड़ पे थोड़ी आसान तो हो
चलो आसान ना सही जीने में जान तो हो।

खुशियाँ दस्तक दिए दर पे खड़ी रहती हैं
उन्हें मनाने का पास में कोई प्लान तो हो।

मुट्ठी भर पैसे नहीं चुटकी भर इज्जत ही सही
दुनिया वालों में अपनी भी ऐसी शान तो हो।

निशाने पर मंजिल हैं और मेहनत के हाथों में तीर
पर किस्मत से जो मिले ऐसी कमान तो हो।
~ अनामिका

Saturday 1 August 2015

तस्विर

जो बाँध सके तेरी यादों को वो जंजीर नहीं देखी
मेरी रूह से भी छीनले तुझे वो तकदिर नहीं देखी
कहीं मेरी ही नजर ना लग जाएँ इसी खौफ से  ए सनम
इक अरसा हो गया मैंने तेरी तस्वीर नहीं देखी।
~ अनामिका

माँ

आग से कहासूनी हुई पर हवा को नहीं सुनाई
बिमारी से लतीफे बाँटी, दवा को नहीं सुनाई
कहीं पढ़ न ले वो मेरे सिने का दर्द इसीलिए
जमाने भर को सुनाई गजल, माँ को नहीं सुनाई।
~ अनामिका

तस्वीर

जो बाँध सके तेरी यादों को वो जंजीर नहीं देखी
मेरी रूह से भी छीनले तुझे वो तकदिर नहीं देखी
कहीं मेरी ही नजर ना लग जाएँ इसी खौफ से यारो
इक अरसा हो गया मैंने उसकी तस्वीर नहीं देखी।
~ अनामिका

Friday 31 July 2015

सौदेबाजी

गजब का सौदागर निकला वो.... जख्म गिरवी रख दिए, मोहब्बत कर्जे पे लेकर....
~अनामिका

Thursday 30 July 2015

गुरूपौर्णिमा

ईश्वर हो या ब्रम्हविधाता
या हो जग के चारों धाम
सत्य अनोखा एक ये जाना
श्रेष्ठ हैं सबमें गुरू का नाम
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काम क्रोध पर कठिन नियंत्रण
और कठिन हैं प्रपंच माया
मिथ्या के इस भवबंधन में
धन्य वो जिसने गुरु को पाया।
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गुरुभक्ति आसान ना कोई
एकलव्य सा दूजा ना होई
काट अंगुठा गुरुआज्ञा पर
गुरुचरणों में भेट चढ़ाई।
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मन की पीड़ा मन की शांति
होत अकेला पल पल रोएँ
हैं ये महिमा गुरू नाम का
सुख दुख में ना विचलित होएँ।
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मृत्युकाल जब सामने तय हो
हरी हो मन में फिर क्या भय हो
नरसिंह्वा बन गुरु जब आएँ
जग भर में प्रह्लाद की जय हो।
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मात पिता या सगे पराएँ
एक समय सब छोड़ के जाएँ
गुरू सखा और गुरू हि साथी
मोक्षप्राप्ति का मार्ग दिखाएँ।
~ अनामिका

Wednesday 29 July 2015

दर्द

रुठने का हक हैं तुझे, वजह बताया कर
खफा होना गलत नहीं, तू खता बताया कर।
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सीधासाधा जुर्म नहीं, गुनाह-ए-इश्क हुआ हैं
आजमा मुझे यूँ भी कभी, तू सजा बताया कर।
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जख्म खाने का खौफ नहीं, देख तू ही न थक जाएँ
घाव देने से पहले कम से कम दवा बताया कर।
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हारा नहीं हूँ पर कभी थककर रुक सा जाता हूँ
मुझे बगावत भी कबूल, तू तेरी रजा बताया कर।
~ अनामिका

Tuesday 28 July 2015

नजरिया

बदलने वाला यूँ पल भर में तो नहीं बदल सकता... शायद मैंने हि कभी नजरिया बदलके उसे देखा नहीं....
~ अनामिका

Saturday 25 July 2015

उम्र का तकाजा

उम्र का तकाजा कुछ इस तरह कराया उसने... बिछड़के वो मुझसे मेरी शरारते ले गया।
~ अनामिका

Thursday 23 July 2015

सच्चाई

और किसी के नहीं अपनी ही जुबान के हाथ में होती हैं
जो इज्जत तीर पे रख ही दी तो कमान के हाथ में होती हैं।
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कुदरत के साथ खिलवाड़ तो वैसे इंसान करता ही रहता हैं
पर तबाही लाने की ताकत सिर्फ जहाँ के हाथ में होती हैं।
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चीजें सस्ती हो या महँगी, यहाँ तो दोनों ही पाईं जाती हैं
अब किसको कहाँ जगा मिलेगी ये दुकान के हाथ मे होती हैं।
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किस्मत और तकदीर से तो दुनिया में हर कोई ही आता हैं
पर मेहनत, सब्र और उम्मिद सिर्फ इंसान के हाथ में होती हैं
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पैसों के बलबूते पर यहाँ तुम किस को कितना भी नचालो
पर हर किसी की आखिरी डोर तो भगवान के हाथ में होती हैं।
~ अनामिका

Wednesday 22 July 2015

तूफान

जिंदगी में उसने दस्तक दि थी इक मेहमान बनकर
और मैं नासमझ उसे चाहता रहा, नादान बनकर।
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इस दिल को बहुत जलाया वैसे तो उसने यारो
और दुनिया में मैं महकता रहा इक लोबान बनकर।
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मिल्कीयत सोंपी जिसे, बड़ी बेरहमी से वो छोड़ गया
और दिल मेरा रह गया किराए का मकान बनकर।
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पहली बरखा जैसी उसने आहिस्ता आहट तो दि
पर मुझपर से वो गुजर गया इक तूफान बनकर।
~ अनामिका

Monday 20 July 2015

बेरोजगार

वक्त की रफ्तार से भागते हुए दौलतमंद तो बहुत होता गया.... लेकिन बेरोजगार इतना रहा की किसी एक की मोहब्बत को भी पाल न सका...
~ अनामिका

Sunday 19 July 2015

सच्ची मोहब्बत...

क्या बताऊ के वो मेरा कैसे साथ निभाता हैं....
आँसू जब मेरी आँखो से छलकते हैं
तो पल में उन्हें थाम लेता हैं...
दुनिया के असली रंग जब मुझे पहचानने नहीं आते...
तो अपनी आँखो से मुझे सारी दुनिया दिखाता हैं...
जिंदगी के उजालो में तो हर कोई पास रहता हैं,
लेकिन इस तनहाई भरे अंधेरों में वो मेरी रोशनी बनकर आता हैं....
जब दूर वो मुझसे हो तो मेरी दुनिया अधूरी लगती हैं,
और जो पास मेरे वो आएं तो ये जहाँ पूरा लगता हैं....
और क्या कहूँ की मेरी मोहब्बत को वो किस तरह निभाता हैं...
हा कुछ इसी तरह मेरा "चश्मा" मेरा हर पल साथ नाभाता हैं। 8-)
~ अनामिका

मुकद्दर

मुकद्दर की लिखावट का इक ऐसा भी कायदा हो
देर से किस्मत खुलने वालों का दुगुना फायदा हो।
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राजा हो या वजिर,  या कोई और बड़ा खिलाड़ी
जंग शुरू ही नहीं होती जो एक भी कम प्यादा हो।
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नजरें झुका लेने से भला सादगी का क्या ताल्लुक?
शराफत तब झलकती हैं जब नियत मे पर्दा हो।
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मोहब्बत सच्ची हैं तो फूलों को बागों में खिलने दो
जल्दी मुरझा जाएँगे जो हाथों में पकड़ ज्यादा हो।
~ अनामिका

Friday 17 July 2015

NO COMMENTS!!!

GHAR KE KISI BUJURG PATIENT KO DEKHNE JAB MEHMAAN AATE HAI....
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MEHMAN- ab kaisi hai inki tabiyat??
GHARWALE- ji thik hai ab. ye aapke sath me aap ka beta hai? :o
MEHMAN- Ji. mera beta hai... engineering 2nd yr me hai. :)
GHARWALE- oh.. very good. hamara ladka bhi engg. kar raha hai... final yr... Autonomous college me hai. ^_^  (Y)
MEHMAN- kya baat hai... hamare bete ko bhi mil jata autonomous college, lekin us college me setting hi thi shayad.... :( 1 mark se mere bete ka admission reh gaya.
 :'(
GHARWALE- ha.. kuch keh nahi skate... aaj jal competition bhi bahut hai... -_-
MEHMAN- thik hai jee... marij ka halchal puchhane aye the...  wo thik se puchna reh hi gaya... :o :o :o chaliye ab der horahi hai... nikalte hai...
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PADOS KI AUNTY JAB AATI HAI... EK KATORI CHINI MAANGNE....
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AUNTY-beta pinky?? mummy hai ghar pe??
MOM- arey pinki padhai kar rahi hai... aap aaiye na...
AUNTY- aaj kal ke bacho ko padhai se jarasi bhi fursat nahi milti...
MOM- ha na... har saal ki tarah meri beti ko above 90 % jo lane hai..
AUNTY- Mera beta to above 95% lata hai har sal... sports me bhi aage hai...
MOM- meri beti bhi bahut intelligent hai... wo to last yr ki final exm me jara tabiyat kharab ho gai thi.. to sirf 93 % mile :'(
MOM- waise... aaj aapka kaise aana hua?? :o
aunty- areyy ha... mai to chini mangne aayi thi... bhul hi gayi... :o
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SHARMA JI JAB SHAM KE LIYE SABJI KHARIDNE JAAYE AUR RASTE ME GUPTA JI MILJAYE
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SHARMA JEE- arey gupta jee aap yaha?? kaise hai aap?
GUPTA JEE- mai thik hu... aap kaise hai?? ghar pe sab kaisi hai? bache kaise hai
SHARMA JEE- arey bachho ka to pucho hi mat... din raat bass padhai padhai aur padhai... chota beta 9th me hai.. aur bade bete ka 11th me science jo hai... uparse electronics liya hai... :o bahut padhna padta hai use to... baapreyyy
GUPTA JEE- arey Sharma jee... ab kya science aur kya commerce, arts...!! Sabko bahut padhna padta hai!! Ab mere bete ka commerce hai...!! Wo bhi subah sham padhta hi rehta hai... Waise to use aaram se science mil raha tha... par usne apne man se commerce liya :D :D ;)
SHARMA JEE- ohh... ye bhi achi baat hai... par mere bete ko to Dr. hi banna hai... is liye usne science liya...
GUPTA JEE- areyy 11th, 12th me electronics leke Dr. kaise banega ladka aap ka??? :o
SHARMA JEE- areyy sorry sorry... by mistake bol diya jee :D mera beta itna padhta hai.. to uska thoda tension muze bhi aagya... :P isliye galtise keh diya ;)  Mera beta to IIT se karega electronics engg. (Y)
GUPTA JEE- Mera beta to CA karega CA. waise aap kaha jarahe the??
SHARMA JEE- arey mai to sham ke liye sabji ka lene market jaraha tha... ab to bahut der hogai :( chaliye mai chalta hu...
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LADKE WALI JAB LADKI DEKHNE JATE HAI TAB
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LADKE KE CHACHA- Bahut acha ghar hai aap ka... joint family hai?
LADKI KE CHACHA- Ji... sab sath me rehte hai... waise... ye aap ki ek hi beti hai?
LADKE KE CHACHA- nahi... ek bada beta bhi hai... Bhms kar raha hai.. fursat nahi hai use jara bhi...
LADKI KE CHACHA- arey wahh... mere bete ko bhi Dr. hi karana hai.. aur aap ki beti kya karti hai?
LADKE KE CHACHA- Ye IIT ki preparation kar rahi hai.
LADKI KE CHACHA- Par ye to choti lagti hai :o
LADKE KE CHACHA- ji... abhi 5th std me hai... -_-  side by side IIT ke coaching kar rahi hai :o :o aap ko to pata hi hai jamana kitna aage badh raha hai :o
LADKI KE CHACHA- sahi kaha aal ne.. agle hi saal apne chote bete ko bhi lagwa deta hu tuition!!
ANDAR LADKI KI MA... LADKI KE PAPA SE!!- areyy ab jinki shadi ki baat chal rahi hai unko to baat karne do :o :o
~ अनामिका
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NO COMMENTS!!!!

Wednesday 15 July 2015

कफन

ना धर्म काम आएगा ना भ्रम काम आएगा
उस के घर जाते ही तेरा करम काम आएगा।

रंगीन दुनिया के ऐ मतवाले रंगरेज
तुझे भी आखिरी वक्त कफन काम आएगा।
~ अनामिका

Tuesday 14 July 2015

गुजरे जमाने

बातों में कुछ किस्से जब पुराने याद आते हैं
छिपते नहीं ये अश्क, बस बहाने याद आते हैं
हँसी हँसी में बदल जाते हैं चेहरे के तमाम रंग
और जेहन में कुछ गुजरे जमाने याद आते हैं।
~ अनामिका

Monday 13 July 2015

नजरिया

कोंसना छोड़ो मंजिलों को तुम जरिया बदल के देखो
नजर धोखा देती हैं अक्सर तुम नजरिया बदल के देखो।
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अपने मन से बहना ही अगर बेहतर लगता हैं खुद को
तो अपनी मर्जी की राहे चूनो और दरिया बदल के देखों।
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मोड़ आने पर बंद हो जाती हैं जिंदगी की गाड़ी भी
पर रुको मत सफर में कभी तुम पहिया बदल के देखो।
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बेरंग लगने लग जाते हैं उस रंगीन गजल के रंग भी तब
जब लफ्जों से यूँ ही खेलते हुए तुम काफिया बदल के देखो।

~ अनामिका

Sunday 12 July 2015

सिक्का उछाला जाता हैं।

बड़े लाड़ प्यार से जिस को इक उम्र तक संभाला जाता हैं
दुनियादारी कह के उस चाँद को फलक से निकाला जाता हैं
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कागजों के नोटों से आखिर किस किस को खरीदोगे साहब
किस्मत परखने के लिए यहाँ सिक्का ही उछाला जाता हैं
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कड़ी मेहनत से उगाया उसका सारा अनाज जब बिक जाएँ
तह कहीं जा के उस किसान के मुँह में निवाला जाता हैं
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कोई घर आता हैं यूँ तो सफर में जाना पहचाना सा
पर मंजिल पता हैं कहकर उन रास्तों को टाला जाता हैं।
~ अनामिका

Friday 10 July 2015

यकीन

जुदा हो गई राहे, जब की इश्क तो सच्चा था
पर खुदा ने ऐसा किया, तो जाहिर हैं अच्छा था।
~ अनामिका

बेरुखी

ताल्लूक तोड़ देना मेरी बेरुखी का सबक समझते हो
तुम्हें लगता हैं तुम मुझे समझते हो? गलत समझते हो।
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जताई नहीं मोहब्बत मुझे, और लोगों को दिखाते रहें
मियाँ इसे नुमाईश कहते हैं और तुम तडप समझते हो।
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मुझे तो तवक्को थी, तेरी तवज्जो ही मिलें जरा सी
और मेरी जायज नाराजगी को तुम हैरत समझते हो।
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झुक जाता हैं खुदा भी किसी फरिश्तें की बंदगी से
तुम पाकीजा मोहब्बत में झुकने को लानत समझते हो।
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तकरार करके इकरार करने से मोहब्बत निखर आती हैं
जब तुम यहीं नहीं समझते हो, तो गजब समझते हो।
~ अनामिका
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नुमाईश- exhibition
तवक्को- expectation
तवज्जो- attention
पाकीजा- pure

Wednesday 8 July 2015

इश्क

बस दिन रात एक ही बात अब मुझे खलती हैं
मेरी खामोशी वो ना समझा, मेरी ही गलती हैं।
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कच्चे ही निकलते हैं अक्सर उम्मीदों के धागे
किस्मत खराब हैं कहकर हर बात टलती हैं।
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दिल लगाने वालों का एक लमहा गुजरता नही
और दिमाग वालों की जिंदगी आराम से चलती हैं।
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किसी ने सच ही कहा हैं, सौदा नहीं हैं मोहब्बत
सच्ची मोहब्बत के बदले, किसे मोहब्बत मिलती हैं।
~ अनामिका

Tuesday 7 July 2015

मोहब्बत

ईल्जाम मुझपे आएं, मेरे हिस्से में बेबसी मिलें
बिछडके मुझसे तू खुश हैं, तो तुझे सदा खुशी मिले।
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मिले तुझे नया साथी, तेरे नाज नखरे उठाने वाला
जो वफा मेरी भूल हैं, तो मुझे हर पल खामोशी मिलें।
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मुझे मेरे जैसे किसी से भी नफरत हो जाएगी बेशक
और जो तेरे जैसा ना हो, तुझे ऐसा दिलनशी मिले
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नया सफर ये जिंदगी का तुझे तहे दिल से मुबारक
मैं अपनी तनहाई में खो जाऊँ, मुझे ऐसी बेहोशी मिलें।
~ अनामिका

यकीन

ना मैं थक कर हारा हूँ मालिक, ना ही रहम की मन्नत माँगूंगा
जब तक मेरा यकीन हैं तुझ पर मैं बस लड़के की हिम्मत माँगूंगा।
~ अनामिका

Monday 6 July 2015

कमियाँ

कमियाँ होंगी किसी मे भी, तू क्यूँ उनको चून रहा हैं?
ऊपर वाला बैठा हैं ना, वो सब कुछ गिन रहा हैं।
~ अनामिका

Sunday 5 July 2015

गुस्ताखी माँफ

मेरी कीमत सबने देखी, किसी ने शक्सियत नहीं देखी।
मेरी मुफलिसी पे सब हँसे, किसी ने नीयत नहीं देखी।
आखिर मेरा मालिक ही बड़ी चलाखी से सच्चा निकला
जिसने जख्म देने से पहले मेरी हैसियत नहीं देखी। :)
~ अनामिका

Saturday 4 July 2015

बचपन

आज खुशियाँ तिजोरी में बंद पड़ी रहती हैं... पर सुकून तो बचपन के गुल्लक में जमा था...
~ अनामिका

Friday 3 July 2015

जीनत

घिसने से पत्थर की कीमत बढ़ती हैं
कीमत जो बढ़ जाएँ तो हैरत बढ़ती हैं
बाहरी खूबसूरती तो ढल जाएगी इक दिन
इबादत से रूह की जीनत बढ़ती हैं।
~ अनामिका

जद्दोजहद

सुन के सब चल देते है, मानता कोई नहीं
टूटे रिश्ते खींच लेते है, बाँधता कोई नहीं
जद्दोजहद इस दिल की दिल में दफन रहती हैं
मुझे पहचानते तो सब है, जानता कोई नहीं।
~ अनामिका

Wednesday 1 July 2015

सच्चाई

जल्दी में जो निकले थे, उन्हें ठिकाने मिल गए
मैं रुक क्या गया, मुझे तजुर्बों के खजाने मिल गए।
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बंद सिपी में कौन देखता हैं मोती को भी यहाँ?
नकाब क्या उतरा, शहर में कई दीवाने मिल गए।
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खिलती कली को वो अक्सर मिलने आया करता था
फूल मुरझा क्या गया, भँवरे को भी बहाने मिल गए।
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किसी ने रोका नहीं तुफानों में जाते हुए सफीना को
वो डूब क्या गईं, सब बस हमदर्दी जताने मिल गए।
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मिलते नहीं कोई घाव जबसे तनहाई पे राज किया हैं
उसका दिदार क्या हुआ, कई जख्म पुराने मिल गए।
~ अनामिका

Monday 29 June 2015

उसूल

जिंदगी के कारोबार में अना मेरी दौलत हैं तो इमान मेरा गुरूर!! खैरात की जन्नत से खुद्दारी का जहन्नुम बेहतर हैं।
~ अनामिका

बेबसी

बिन देखें मुझको वो रहता क्यूँ नहीं?
ताज्जुब हैं फिर भी कुछ कहता क्यूँ नहीं?
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तडप मेरी चाहत की दिखती हैं उन आँखो में
अश्कों का कोई कतरा फिर बहता क्यूँ नहीं?
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ऐतबार तो हैं मुझे भी, पर गुरूर भी तो हैं
फिर दूरी उससे ये दिल सहता क्यूँ नहीं?
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चलो छोडो मैं ही, पहल कर दूँ सोचता हूँ
फिर डर के मारे ये दिल भी कुछ कहता क्यूँ नहीं?
~अनामिका

Sunday 28 June 2015

जुदाई

राह देखते देखते तेरी बहुत देर हो गई
कल तलक मैं तेरी थी आज गैर हो गई।
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न पुंछा तुने कुछ भी, न कहां मैंने कुछ भी
इस बिच इक मोहब्बत की शाम-ओ-सहर हो गई

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अनकहे कुछ जज्बात भीतर ही दफन हो गए
जुदाई की वो घडींयाँ पल में कहर हो गई
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मर मर के गुजरती हैं अब तेरे बिना ये जिंदगी
तेरे नाम जो साँसे थी, आज जहर हो गई।
~ अनामिका

Saturday 27 June 2015

तनहाई

शाम दस्तक देती हैं, दिन ढलने लगता हैं
राह ताकें अँधेरा ये मुझे छलने लगता हैं।
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जेहन में रह जाते हैं कुछ खयाल और सवाल
इस बीच इक वहम दिल में पलने लगता हैं।
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जर्रे जर्रे में दिखता हैं मेरा ही अक्स मुझको
तनहाई का ये वक्त इस कदर खलने लगता हैं।
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रेंगते हुए आता है, सर से पाँव तक चुभता हैं
भीतर दफन इक राज का जख्म जलने लगता हैं।
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गुंज उठती हैं खामोशी, रूह की गहराई से
चारों तरफ सन्नाटों का शोर चलने लगता हैं।
~ अनामिका

Friday 26 June 2015

नियत

परेशान तू भी हैं
परेशान मैं भी हूँ।
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खुदगर्ज तू भी हैं
खुदगर्ज मैं भी हूँ।
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दुश्मन तेरे भी हैं
दुश्मन मेरे भी हैं।
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दुआ तू भी करता हैं
दुआ मैं भी करता हूँ।
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फर्क सिर्फ इतना हैं,
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तू दूसरों की बर्बादी माँगता हैं
मैं अपनी आबादी माँगता हूँ।
~ अनामिका

Thursday 25 June 2015

नुमाईश

यूँ ना नुमाईश कर अपने नए इश्क की... अगर मुझपे इसका असर ना हुआ, तो ये तुझे बहुत असर करेगा।
~ अनामिका

जिंदगी

जिंदगी में कुछ मुकाम ऐसे भी आते हैं... जहाँ नतीजे तो मिल जाते हैं, वजह नहीं मिलती।
~ अनामिका

Wednesday 24 June 2015

खुद्दारी

दिल के मामलों में खुद्दारी बड़ी महँगी पड़ती हैं साहब... उसे आजाद करके, मैं खुद में कैद रहता हूँ।
~ अनामिका