Thursday 24 September 2015

कोई भी चीज अना से ज्यादा जरूरी नहीं होती....

कोई भी चीज अना से ज्यादा जरूरी नहीं होती
गरीब हूँ तो खुद्दारी से, मुझसे जी हुजूरी नहीं होती।
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हार गई पहली मोहब्बत तो दूसरी मिल ही जाती हैं
पर महकने वाली हर खुशबू यहाँ कस्तूरी नहीं होती।
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धीरे धीरे टूट जाता हैं चमकता सितारा भी अक्सर
फिर भी तमन्ना कुछ चाँदनीयों की  पूरी नहीं होती।
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कहानी अपने जिंदगी की इत्मिनान से पढनी चाहिए
मुकम्मल नहीं तो ना सही,  पर अधूरी नहीं होती।
~अनामिका

Wednesday 23 September 2015

शराबो की महफील में भी....

शराबों की महफिल में भी जहर घोल के आते हैं
लफ्ज मेरे, शायरी मेरी और लोग बोल के आते हैं।
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बरसों से जो जमा थे वो सारे ही सिक्के खोटे निकले
सोचा था जिन्हें मुसीबत में, हम भी तोल के आते हैं।
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गरीबी में क्या बातें करना ये कैसा और वो कैसा
अमीर *माजी के पुर्जे जरा अपने भी टटोल के आते हैं
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मशहूर ना कर दे जमाना उसे मेरी बेखौफ नजरों से
इजाजत हो तो दिल के राज हम भी खोल के आते हैं।
~ अनामिका
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माजी= past

Monday 21 September 2015

नासमझ वो कहता हैं...

नासमझ वो कहता हैं मैं रिश्ता मिटाने को आता हूँ
मैं तो झगड़-झगड़ के मोहब्बत जताने को आता हूँ।
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फासलो से कहाँ मिटती हैं बेचैनियाँ ये दिलों की
मैं तो यूँ टकरा के मोहब्बत निभाने को आता हूँ।
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हँसने वाले कहाँ कभी सच्ची मोहब्बत करते हैं
तुझे मैं जानता हूँ तभी तो रूलाने को आता हूँ।
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खामोशी भी कर देती हैं ख्वाहिशें दिल की बयान
मैं भी सब समझता हूँ, ये समझाने को आता हूँ।
~ अनामिका

Saturday 19 September 2015

ख्वाब जो सारे....

ख्वाब जो सारे,  ख्वाबों में पले हैं
हकीकत ये हैं की हकीकत से जले हैं।
सुरज सा चमकना भी क्या चमकना यारो
ख्वाबों के आफताब भी अंधेरों में ढले हैं।
~ अनामिका

Friday 18 September 2015

मैं बारिश के मजे लूट रहा था....

मैं बारिश के मजे लूट रहा था तब उसे घर लौटते देखा
जिसने छत दिलाया उस बाप की ही फटी छत्री थी।
~ अनामिका

Wednesday 16 September 2015

तेरी मोहब्बत में रंग के जब से रंगीन हो गया हूँ....

तेरी मोहब्बत में रंग के जबसे रंगीन हो गया हूँ
आवारा था किसी रोज, अब संगीन हो गया हूँ।
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मौजूदगी तेरी जिंदगी में मुझे मुकम्मल करती हैं
पर तुझे खोने के खौफ से, गमगीन हो गया हूँ।
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तमाम नजारे दुनिया के पलट के कभी देखे नहीं
दिदार तेरा जबसे हुआ, अब शौकीन हो गया हूँ।
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ख्वाहिशे और हसरते तो तमाम थी जिंदगी में
तुझसे क्या मिलना हुआ, मुतमईन हो गया हूँ।
~ अनामिका

Monday 14 September 2015

जो बेवफाई में तू मेरा हैं तो मुझे हर्ज न था...

भले ही कीस्सा बेवफाई का कहीं दर्ज न था
जो बेवफाई में तू मेरा हैं, तो मुझे हर्ज न था।
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तूने समझा की मुझे समझाना तेरा फर्ज न था
तो मैं अंजान ही बनकर रहता, मुझे हर्ज न था।
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मेरी जान के सिवा, और तूझपर कोई कर्ज न था
तू कीश्तो में साँसे लौटा ता, मुझे हर्ज न था।
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एक तेरी ही लत थी मुझे, और कोई मर्ज न था
चल तू फरेबी ही सही, पर मुझे हर्ज न था।
~ अनामिका

Friday 11 September 2015

खुदा

ख्वाहिश थी जिसकी बरसों से, मिला नहीं और जुदा हो गया
फरीश्ता समझा एक मुद्दत से जिसे, पलक झपकते ही खुदा हो गया।
~अनामिका

Wednesday 9 September 2015

नादानीयों के आड़े....

नादानीयों के आड़े, इक शीशे का महल तोड़ा था कभी... आज एक पत्थर क्या मेरी दहलीज पे आया, बचपना छूट रहा हैं मेरा....
~अनामिका

Sunday 6 September 2015

मोहब्बत की बेडियों से तुझे आजाद कर दिया....

मोहब्बत की बेडियों से तुझे आझाद कर दिया
तू देख मेरी बर्बादी को, मैंने आबाद कर दिया।
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ना झुकने दिया तुझे, ना टूटने दिया खुद को
देख अपनी कमजोरी को, मैंने फौलाद कर दिया।
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फना होना लाजिम हैं इश्क के सौदागरों का
हारकर मैंने मोहब्बत को जिंदाबाद कर दिया।
~अनामिका

Saturday 5 September 2015

बागी

हादसा जो गुजरा तो खबरों में आ गया
मासूम जो बिखरा तो नजरों में आ गया
खुदा की मिल्कीयत पे बागी हैं इंसान
और खाँमखाँ इल्जाम लहरों पे आ गया
~अनामिका

हा... तनहा हूँ...

हा... तनहा हूँ....
ना दिन का अंदाजा हैं
ना रातों का होश हैं....
एक मुद्दत से मेरे अंदर
मेरा अक्स बेहोश हैं...
ये टिक टिक करते घड़ी के काटे
कानों को छूँती ये हवाओं की गुंज...
लगता हैं जैसे earphones मे
full volume पे इन्हे सुन रहीं हूँ...
हा... तनहा हूँ...
ये mobile की screen
इसपे थीरकती ये उँगलियाँ...
ना कोई वजह हैं
ना कुछ बेवजह हैं....
एक दीवार... एक तकीया...
एक corner... एक charger...
वहीं रोज की जगह
हा... तनहा हूँ....
ये अँधेरा, ये खामोशी
ये रातों का जागना...
कुछ किस्से, कुछ यादे
ये ख्यालो का भागना....
वो कल, ये आज..
कुछ अनसूलझे राज...
वो वक्त,वो दौर...
वो दोस्त, वो सब...
ये मैं, ये कलम
ये चाय का कप...
हा... तनहा हूँ...
ये आँखे... ये लोग..
ये तनहाई का रोग...
ना कोई ठिकाना,
ना कोई रास्ता
ना कोई रिश्ता
ना किसी से वास्ता...
हा...बस... तनहा हूँ....
~ अनामिका

Friday 4 September 2015

आज सल्तनत में तकदिरों से राज नहीं होता...

आज सल्तनत में तकदिरों से राज नहीं होता
अब हर शहजादे के सर पर, ताज नहीं होता।
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एक ही मिट्टी में मिलता हैं आतंकी और सिपाही
लेकिन हर कब्र को जनाजे पे नाज नहीं होता।
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कसम खाकर किसी को, कहाँ हजम होती हैं
जिंदा सीने में दफन कोई राज नहीं होता।
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जिंदगी की दौड़ में जब मंजिल करीब लगने लगें
तो ये वो अंजाम हैं, जिसका आगाज नहीं होता।
~ अनामिका

Thursday 3 September 2015

हसना जरूरी हैं...

शायर होना मुश्किल हैं
शायरी हैं इक फन
one two का four
और four two का one :D :P
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कलाई में चुडियाँ
चुडियों की खनक
कोलगेट हैं tasty
क्यूँ की उसमें हैं नमक
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chocolates are sweet
babies are cute
break up हो गया तेरा मेरा
तो चल अब फूट :D
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नदियाँ हैं मिठी
समुंदर हैं खारा
आखिर इस बाहुबली को
कटप्पा ने क्यूँ मारा? :o :o
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Swiss bank में काला धन
कौन हैं देश का चोर
सावन का महीना
और पवन करें शोर :P
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इश्क में तेरे हारके
मैं भुलू दुनिया सारी
धुम्रपान हैं हानिकारक
जनहित में जारी। :v
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पड़ोसी हैं china
china में हैं makau
ऊपर का बहुत हुआ
और कितना पकाऊ? :v
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जिंदगी में खुशियाँ ही
salary है और pension
तो उडाओ इन्हे जी भर के
क्यूँ लेते हो tension? :) :)
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बचपन चला गया
बचपना नहीं गया
CID का joke तो बनता हैं
दरवाजा तोडो दया :D :P
~ अनामिका

हा... हर कोई भाग रहा हैं...

हा... भाग रहा हैं
हर कोई भाग रहा हैं
कोई जीतने के लिए भाग रहा हैं
कोई किसी के पीछे भाग रहा हैं
तो कोई खुद से पीछा छुड़ा के भाग रहा हैं
किसी को कहीं पहुँचना हैं
किसी को कुछ जीतना हैं
तो किसी को गुम हो जाना हैं
हा... हर कोई भाग रहा हैं
कोई पैरों से भाग रहा हैं
तो कोई ख्यालो से भाग रहा हैं
कोई जिंदादिली से भाग रहा हैं
तो कोई मजबूरी से भाग रहा हैं
कोई कदम रुकते ही डर जाता हैं
कोई खयाल छुटते ही डर जाताहैं
किसी को भागने की खुशी
तो कोई रुकने के डर से भाग रहा हैं
किसी का हौसला भाग रहा हैं
तो किसी का डर भाग रहा हैं
हा...हर कोई भाग रहा हैं...
~ अनामिका

Wednesday 2 September 2015

तनहा कर दिया दुनिया वालों ने..

तनहा कर दिया दुनिया वालों ने दुनियादारी कि भीड़ से
के गर्दिशो में जब से मेरे सितारे रहने लगे हैं।
~अनामिका