Wednesday 17 February 2016

नजरें सवाल करती हैं तो मूकर जाता हैं कोई।

यूँ तो अपनी नजरों में, उतर जाता हैं कोई
नजरें सवाल करती हैं तो मूकर जाता हैं कोई।
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गर्दीशों में रहता हैं, विरानियों से राबता
शब-ए-तनहाई में लेकिन, छूकर जाता हैं कोई
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पलके बिछी रहती हैं मुसलसल उन राहो पर
नजर चूराकर आहीस्ता गुजर जाता हैं कोई।
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फलसफा भी अजीब हैं रिवायत-ए-इश्क का
मोहब्बतों में समेट के, बिखर जाता हैं कोई।
~ अनामिका

Monday 15 February 2016

किसी से भी इश्क अब बेशुमार नहीं होता।

महज बेचैनी सी रहती हैं, खुमार नहीं होता
किसी से भीे इश्क अब बेशुमार नहीं होता।
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आती जाती रहती हैं, कई सर्द हवाएं यूँ तो
गुजरे मौसम का लेकिन अब इंतजार नहीं होता।
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सफर करते करते अक्सर, मिठे झरने मिलते हैं
पर हसरत होते हुए भी दिल, तलबगार नहीं होता।
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कल के पत्थर कि चोट आज हीरे से तौबा कराती हैं
कोन कहता हैं, खुद पे खुद का इख्तियार नहीं होता।
~ अनामिका

Sunday 14 February 2016

काश की ये मोहब्बत मुझे इस कदर न होती...

खुश रहने की खुशफैमी, यूँ बेअसर न होती
काश की ये मोहब्बत मुझे इस कदर न होती।
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जिंदगी से बेखबर, मैं इसी सोच में रहता हूँ
काश मुझे यूँ पल पल, तेरी खबर न होती।)
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साँसें रूख्सत करने को बेताब हैं ये जान मेरी
मजबूर हूँ, अगर मुझ को तेरी फिकर न होती।
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कहानी समझ उन किस्सो को मै भी भूल जाता
जो मुझे भी उन एहसासों कि, कदर न होती।
~ अनामिका

Saturday 13 February 2016

वो बाप अपने आश्को से यूँ वजू कर लेता हैं।

बेटी के फटे लिबास को, वो रफू कर लेता हैं
मचलती कुछ हवाओं को, यूँ काबू कर लेता हैं
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आँखे छलक उठती हैं जब हाथ फैलाए उसकी
वो बाप अपने अश्को से, यूँ वजू कर लेता हैं
~ अनामिका

Tuesday 9 February 2016

कहते हो कि सच हमने बताया कब?

कहते हो, कि सच हमने बताया कब?
तुम कहो, कि झूठ हमने छुपाया कब?
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नजर में तो तुम्हारे, हर बात आती हैं
नजर को नजर से तुमने मिलाया कब?
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खामोशी को मेरे, जरा छेड़ तो देते
बताओ, कि हमें तुमने सताया कब?
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दिल की बातों को बखूबी बताया तुमने
बेसब्र अपनी चाहत को जताया कब?
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फर्ज जिम्मेदारीयोंका, निभा तो दिया
पर मोहब्बत कि रस्मों को निभाया कब?
~ अनामिका

Saturday 6 February 2016

दो-चार बातों कि कीमत नहीं होती

महज दो-चार बातों कि कीमत नहीं होती
बातें ही तो करनी हैं, पर जूर्रत नहीं होती
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वाकीफ हूँ गुफ्तगू के आगाज से अंजाम तक
इश्क-विश्क में पड़ने की अब हिम्मत नहीं होती।
~ अनामिका

मेरी कलम हैं वो

मेरे दिल की आवाज बिन कहें सुन लेती हैं
मेरे सपनों को मुझी से, पहले बून लेती हैं
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मैं गलतफहमी, तो मेरा भ्रम हैं वो
मैं सच्चाई, तो मेरा धर्म हैं वो
मैं जो हूँ हया, तो मेरी शर्म हैं वो
अगर मैं नेकी, तो मेरा करम हैं वो।
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मैं जिंदगी, तो मेरा जन्म हैं वो
मैं थंड रूहानी, तो मौसम हैं वो
मैं हूँ जख्म, तो मल्हम हैं वो
मैं दरियादिल, तो मेरा रहम हैं वो।
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आखिर हैं कौन? क्यी मेरा वहम हैं वो?
वहम नहीं, मेरी "कलम" हैं वो
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मैं जान, तो मेरी जानम हैं वो
और कोई नहीं, मेरी "कलम" हैं वो।
~ अनामिका

Friday 5 February 2016

खुशी खुशी तुझको आज विदा किया हैं मैंने

खुशी खुशी तुझको आज विदा किया हैं मैंने
फर्ज सच्ची मोहब्बत का अता किया हैं मैंने।
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मजबूरीयाँ भी तेरी, सर-आँखो पर रखी हैं
जश्न मनाकर खुद को, यूँ फना किया हैं मैंने।
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तेरा वजूद भी मीट गया, मेरी रूह से देख ले
खुद को खुद से इस तरह, जुदा किया हैं मैंने।
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शराफत से जीता हूँ अब तेरे वादों के खातिर
देख किस तरह, खुद को तबाह किया हैं मैंने।
~ अनामिका

Tuesday 2 February 2016

मोहब्बत

अजीब रिवायत लगती हैं मोहब्बत भी... जब तक अंजान थे, बातें होती थी... जान-पहचान क्या हुई, महज फरीयादें होने लगी हैं....
~ अनामिका

दुनियादारी

अजीब रिवायत लगती हैं दुनियादारी भी... जब तक अंजान थे, बातें होती थी... जान-पहचान क्या हुई, महज फरीयादें होने लगी हैं....
~ अनामिका