Monday 20 June 2016

भूख मिटे न मिटे... जायका तो पता लगता हैं।

छोटा हो या बड़ा, हर मौका आजमाना चाहिए.... भूख मिटे न मिटे जायका तो पता लगता हैं...।
~ अनामिका

Friday 17 June 2016

वाह रे मेरी खुद्दारी! यार तू भी कमाल करती हैं



मेरी हि "सोच" मुझसे, ये अक्सर सवाल करती हैं
 खुद मुझसे जो कराती हैं, उसीपे मलाल करती हैं।
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 अपनी अना के वास्ते, दुखाया सारे अपनों को ही
 वाह रे मेरी खुद्दारी, यार तू भी कमाल करती हैं।
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 उसूलों पे मुझे अपने, वैसे फक्र भी हैं पर फिर भी
 न जाने कैसी शर्मिंदगी से, जीना मुहाल करती हैं।
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 सोच भी मेरी अक्सर, सोच में पड़ जाती हैं सोचके
 कि कभी कभी ये खुद्दारी, सच में बवाल करती हैं।
 ~ श्रद्धा
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 अना- खुद्दारी
 मुहाल- मुश्किल

Wednesday 15 June 2016

मुश्किलों में डालके जो चौंका देती हैं जिंदगी



मुश्किलों में डालके जो चौंका देती हैं जिंदगी
 यूँ भी तो कभी कभी, मौका देती हैं जिंदगी।
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 समझने वाले को, बस समझ आना चाहिए
 हर वक्त थोड़ी हि न धोखा देती हैं जिंदगी।
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 समझौतों कि धूप में, रखो तो गुरूर अपना
 पलकों के अश्को को सूखा देती हैं जिंदगी।
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 ख्वाहिश और सब्र का तालमेल आना चाहिए
 तमाम मजबूरीयों को झुका देती हैं जिंदगी।
 ~ श्रद्धा

Wednesday 1 June 2016

दुनियादारी निभानी हैं तो काम से काम रखा जाएँ

दिल में रंजिश होकर भी होंठो पर सलाम रखा जाएँ
 दुनियादारी निभानी हैं, तो काम से काम रखा जाएँ।
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 इतना आसान नहीं हैं इस दुनिया से कट कर रहना
 अनचाहे भी खामोशी को, जरा सरेआम रखा जाएँ।
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 यूँ तो सवाल करती रहती है आँखे अपने अश्को से
 छोड़ो! अपनी ही मजबूरी पे क्या इलजाम रखा जाएँ।
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 गहरे हो सकते हैं ताल्लूकात वैसे आज के भी दौर मैं
 अपने रिश्तों पर भी अगर, कोई इनाम रखा जाएँ।
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 जिंदगी भी इक नशा हैं अगर गौर से देखा जाए तो
 दिल में फकत हसरतों का, कोई जाम रखा जाएँ।
 ~ अनामिका