Friday 30 September 2016

गम जो सारे तुम्हें बताने लग जाएंगे

गम जो सारे तुम्हें बताने लग जाएंगे
फिर संभलने में हमे जमाने लग जाएंगे।
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इक यही बात, याद रहती हैं जहन में
कभी तो उसको हम भूलाने लग जाएंगे।
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जिंदगी भी अजीज हो जाएगी आहिस्ता
इस कदर भी खुद को सताने लग जाएंगे।
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वजह न पुंछ ले कोई, मायूसी कि हम से
फिर बताने कैसे कैसे बहाने लग जाएंगे।
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कभी जो देखे कोई रहम कि नजरों से तो
किस कदर खुश हैं ये जताने लग जाएंगे।
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अब तो तनहाई में कोई दखल न दे, वर्ना
फिर तो संभलने में, जमाने लग जाएंगे।
~ श्रद्धा (अनामिका)

Thursday 22 September 2016

जिद हैं तो जिद को भी मकसद मिलें कोई...

जेहन में पल रहे जुनून को, हद मिले कोई
जिद हैं तो जिद को भी मकसद मिलें कोई।
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ये एक हि बहाना दे कर, कितने ठहरे हुए हैं
कि चल तो देंगे, पहले जरा मदद मिले कोई।
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तकलीफों का बोझ इसलिए भी नहीं उतरता
की खुद हि आगे आएँ, ऐसा कद मिले कोई।
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अक्सर झूठ होतीं हैं वो तमन्ना जो कहती हैं
न तो महफिल और न हि हमदर्द मिलें कोई।
~ अनामिका