Friday 24 February 2017

Raham

कुछ तो रहम कर ए जिंदगी... तुझे जीतने का जुनून नहीं, बस जीने का शौक हैं।

Dil

रंग तो लिया चेहरा दुनियादारी के रंग से ... दिल का फिकापन छुपाऊ कैसे....!!

जरूर कोई जख्म गहरा लगता हैं।

मोहब्बत मिले, तो बुरा लगता हैं?
शायद ये कोई सरफिरा लगता हैं।
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ख्वाहिशें इस की अधूरी हो लेकिन
ज़िन्दगी का तजुर्बा, पूरा लगता हैं।
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अजीब हालात हैं, की दर्द तो मीठा
न जाने क्यों सुकून खारा लगता हैं।
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माथे पे शिकन न होंठो पे शिकवा!
जरूर कोई जख्म, गहरा लगता हैं।
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जीतने चला हैं, मौत को हँसकर?
फिर तो ज़िन्दगी से हारा लगता हैं।
~ श्रद्धा

Thursday 23 February 2017

हुनर है जीना भी जिंदा रहना भी।

जींस दिन पैसा कमाना आएगा
तुम्हारे भी पास जमाना आएगा।
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मीठे भी होंगे, लफ्ज और रिश्ते
पहले बेबसी पर, ताना आएगा।
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समझने होंगे, जिंदगी के दावपेच
तभी दुनिया से निभाना आएगा।
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अखरेगी कुछ दिन, झूठी दुनिया
आहिस्ता खुद को मनाना आएगा।
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हुनर हैं जीना भी, जिंदा रहना भी
यूँ ही ना आखिरी ठिकाना आएगा।
~ श्रद्धा

Tuesday 21 February 2017

तेरे सामने तुझसे ही बराबरी की है।

हर रस्म मोहब्बत की, कुछ यूँ पूरी की हैं
शिकायत में भी मैंने तेरी तरफदारी की हैं।
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तुझे क्या मालूम तुझसे वास्ता जोड़ के मैंने
इक सजा खुद ही अपने हक मे जारी की हैं।
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आखिरकार अपने भी नजरों मे सवाल लिए
आज तेरे सामने तुझसे ही, बराबरी की हैं।
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करगुजर कर सबकुछ, बस इतना समझा हैं
बड़ी मुश्किल जिंदगी की मैंने तैयारी की हैं।
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सीधा सा फसाना हैं, मेरी कहानी का ऐसा
बगावत खुद्दारी से, अश्को से यारी की हैं।
~ श्रद्धा

Saturday 18 February 2017

लत

आदत तो फिर भी बदली जा सकती हैं... लत लग गईं तो छुडानी मुश्किल हैं...!!!

Tuesday 14 February 2017

दूरी तो समझता है मजबूरी नही समझता।

सुलह कर लेना, वो जरूरी नहीं समझता
दूरी तो समझता हैं मजबूरी नहीं समझता।
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फासले हैं दोनों में, दो दिलों में थोड़ी ही है
बात तो समझता हैं पर पूरी नहीं समझता।
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ये नजर भी उसकी, नजरिया भी उसी का
जो उसकी कहानी को हमारी नहीं समझता।
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माना कि नाराजगी भी, जायज हैं रिश्तों में
तभी तो खामोशी को, मैं बुरी नहीं समझता।
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तकरार तो नहीं उससे पर मलाल हैं इतना
बात तो समझता हैं बस पूरी नहीं समझता।
~ श्रद्धा