Wednesday 28 June 2017

हमें दिल पर भी तरस, खाना होगा।

जहाँ मन करें, वहाँ जाना होगा
हमें हि ख़ुद को आजमाना होगा।
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ज्यादा से ज्यादा होकर क्या होगा
होगा तो ख़िलाफ, ज़माना होगा।
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जो अपने होंगे वो सराहेंगे हम को
बाकीयोंका एक-आध ताना होगा।
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ज़ेहन में जगह सिर्फ जमाने के लिए
हमें दिल पर भी तरस, खाना होगा।
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इक पचतावे से दिल बैठा जाता हैं?
फिर अभी तो जोख़िम उठाना होगा।
~ श्रद्धा

Saturday 24 June 2017

कभी तो इत्मिनान से ठहरने को दिल करता होगा।

इस तनहाई से आगे ग़ुजरने को दिल करता होगा
कभी तो इत्मिनान से ठहरने को दिल करता होगा।
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बेज़ारी, मायूसी, वहीं तक़दीर-ओ-मुक़द्दर की बातें
ये सच हैं, तो सच से मुकरने को दिल करता होगा।
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संभलकर चलने के चक्कर में, तजुर्बे पीछे रह गए
जानबूझकर हि सही फिसलने को दिल करता होगा।
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माना कि हावी हैं, हक़ीकत-ए-ज़िन्दगी का ख़ौफ
फिर भी तसव्वुर में, बहलने को दिल करता होगा।
~ श्रद्धा

Wednesday 21 June 2017

ख़ामख़ा चैन को, दर बदर नहीं करना। .

अपनी नज़र को इधर उधर नहीं करना
ख़ामख़ा चैन को, दर बदर नहीं करना।
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वैसे भी नहीं हैं, जैसे नज़र आते हैं लोग
खबर रखना किसी को ख़बर नहीं करना।
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बंजर हो दिल किसी और का तो बेवजह
अपनी आँखों को, तर बतर नहीं करना।
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रंजिश इक तरफ, अपने उसूल इक तरफ
दुनियादारी का खुद पे, असर नहीं करना।
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ये माना कि तग़ाफुल भी जरूरी हैं लेकिन
नफरतों के लिए दिल में, घर नहीं करना।
~ श्रद्धा

Monday 12 June 2017

यूँ तो जिंदगी को जीने के इशारे बहुत होते हैं।

यूँ तो ज़िन्दगी को जीने के, इशारे बहुत होते हैं
लेकिन होता हैं यूँ, के हम बेचारे बहुत होते हैं।
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हमें हुनर आना चाहिए, किसी का हो जाने का
होते होंगे कुछ तो ऐसे, जो हमारे बहुत होते हैं
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ख़ौफ होना लाज़मी हैं ठिकाने से भी उस वक्त
जबतक यहाँ वहाँ अपने, ग़ुजारे बहुत होते हैं।
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ये भी वजह होती हैं, किसी को छोड़ जाने की
होते हैं तो लोग भी कंबख्त प्यारे बहुत होते हैं।
~ श्रद्धा