Wednesday 5 April 2017

ख़ामोशी से ताल्लूक नहीं मजबूरी जाहिर होती हैं...

जो रिश्ता हैं दरमियाँ, उस पर नाज होना चाहिए
मोहब्बत इस लफ्ज का भी लिहाज होना चाहिए।
.
ख़ामोशी से ताल्लूक नहीं मजबूरी जाहिर होती हैं
कभी मुझे तो कभी तुझे भी नाराज होना चाहिए।
.
हामी नहीं भरी जाती, नजरअंदाजी से ही सब में
जहाँ हक हो कभी वहाँ पर, ऐतराज होना चाहिए।
.
अंजाम दिल से नहीं जेहनी तौर से होता हैं अक्सर
किसी मोड़ पर ही सही नया आगाज होना चाहिए।
.
नशे सा जो चढ़ जाएँ, तो मुकम्मल होता हैं इश्क
अगर हैं ये बीमारी, तो फिर इलाज होना चाहिए।
~ श्रद्धा