Monday 30 May 2016

बेवफाई को भी तेरी इक राज रखा हैं मैंने

बेवफाई को भी तेरी, इक राज रखा हैं मैंने
बेपनाह मोहब्बत का ये अंदाज रखा हैं मैंने
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गनीमत हैं ये कलम भी तुझसे बदतमीजी करें
मेरी शायरी में भीे तेरा, लिहाज रखा हैं मैनें।
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छलकती हैं आज भी कभी तनहाई मेेें आँखे
तो लगता हैं की तुझे ही, नाराज रखा हैं मैंने।
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तुझे खोकर जैसे, खौफ-ए-खुदा भी न रहा
तेरे बाद तो यही अपना मिजाज रखा हैं मैंने।
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'मोहब्बत' के मायने भी तुझसे ले के तुझी पे थे
अब तो मेरे पास सिर्फ ये अल्फाज रखा हैं मैंने।
~ अनामिका

Tuesday 17 May 2016

जद्दोजहद मेरे दिल की कुछ यूँ हल हो जाएँ

जद्दोजहद मेरे दिल की, कुछ यूँ हल हो जाएँ
जो बसा हैं इस दिल मे उसी से पहल हो जाएँ।
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जो दे अगर दस्तक मेरे दिल की दहलीज पे वो
इस फकीर की ये कुटीया भी, महल हो जाएँ।
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तसव्वूर में भी हो जाएँ, जो दिदार अगर उसका
ये तमाम नजारे दुनिया के, फिर ओझल हो जाएँ।
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इस खौफ और कश्मकश में गुजर रहीं हैं जिंदगी
ये पल ही ना कहीं, गुजरा हुआ कल हो जाएँ।
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मकसद सा लगने लगा हैं जीने का वो मुझ को
जो उसे पा लू, तो ये जिंदगी भी सफल हो जाएँ।
~ अनामिका

Sunday 8 May 2016

नजरों में मेरी जलील नहीं हुआ मैं।

माना इस दुनिया की हिसाब से काबिल नहीं हुआ मैं
ये भी सच हैं की नजरों में मेरी, जलील नहीं हुआ मैं।
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मजबूरी के नक्षेकदम पे, चलने से खुद्दारी बेहतर थी
तनहाई को अपना लिया, पर बुजदिल नहीं हुआ मैं
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मुकद्दर से हमेशा हारकर भी, सब्र मेरा कायम हैं
दिल की तमाम हसरतों का,  कातील नहीं हुआ मैं
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मोहब्बत भी मियाँ अपनी, कुछ उसूलों वाली ही रहीं
जहाँ बात मेरी अना पर आईं, तब्दील नहीं हुआ मैं।
~ अनामिका

Saturday 7 May 2016

जो मेरा हुआ ही नहीं उसे भूल जाएँ तोबेहतर हैं...

दिल पर संभाले हुए दाग अब धूल जाएँ तो बेहतर हैं
जो मेरा हुआ हि नहीं, उसे भूल जाएँ तो बेहतर हैं।
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इससे पहले की बँध जाएँ, इक नई डोर नए धागे से
कुछ पुरानी यादें रफू करके सिल जाए तो बेहतर हैं।
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आखिर कैद कौन कर पाया हैं, उस बीते हुए कल को
ये आने वाला पल ही, जरा टल जाएँ तो बेहतर हैं
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मजबूरी अपनी जगह, और दुनियादारी अपनी जगह
जिंदगी जीने को कुछ हसरते, जल जाएँ तो बेहतर हैं।
~ अनामिका

Friday 6 May 2016

समझौते

सिर्फ समझौते होने लगे हैें, नाराजगी नहीं रहती
लगता हैं कि रिश्तों में अब वो ताजगी नहीं रहती।
~ अनामिका

वो गिर जाते हैं मेरी नजरों से, जिनकी आँखो में चुभता हूँ मैं...

ये लेनदेन का हिसाब भी, कुछ इस तरह रखता हूँ मैं
वो गिर जाते हैं मेरी नजरों से, जिनकी आँखो में चुभता हूँ मैं।
~ अनामिका