Wednesday 27 December 2017

ये खेल तो वकील की दलील का हैं!!

जो बात शोलों  की आग में होती हैं
वो हि  चिंगारी में, चराग़ मे होती हैं।
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कमाल यहाँ पर, रागिनी भी करती हैं
धुन क्या फ़क़त एक राग़ में होती हैं?
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ये खेल तो वकील की दलील का हैं
भले ही सच्चाई सुराग़ मे होती हैं।
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सफेद रंग से तो अंजाम होता हैं
आग़ाज-ए-ज़िन्दगी दाग़ में होती हैं।
~ श्रद्धा

Saturday 23 December 2017

Mohabbat

माना कि  तेरे ख़यालों  में, ग़ुम नहीं हूँ  मैं
लेकिन तेरी मुहब्बत से, महरूम नहीं हूँ मैं।

मैं कहानी हूँ  मुक़म्मल, वजूद मिरा  तन्हा
तराने  को  ज़रूरी, वो  तरन्नुम  नहीं  हूँ मैं।

पाने खोने  का ये ख़ेल, रास हि नहीं आया
हिसाब करें उल्फत मे, वो हुजूम  नहीं हूँ मैं।

लाहासिल हूँ मैं मगर, तुम्हे कामिल कर दूंगा
आखिरकार  मैं मैं हूँ  जाना, तुम  नहीं हूँ मैं।
~ shraddha

Saturday 2 December 2017

Gazal

ठहरा  हुआ हूँ, इक ज़माने  से मैं
हटता क्यों नहीं तेरे निशाने से मैं।

सातों सूर मिल के, धुन छेड़ देते हैं
तिलमिलाता  हूँ इक,  तराने से मैं।

रूठ कर टूटने का शौक़ अब ख़त्म
मान  जाता  हूँ बस, मनाने  से  मैं।

खुद को खो  देने का, डर नहीं रहा
फायदे मे हूँ अब, तुझे गवाने से  मैं।
~ Shraddha

Monday 27 November 2017

नज़र तो तुम्हारी, अपने बस मे नहीं है...

ख़ामख़ा कि आदतों को पालते क्यूँ हो?
बात बात पें दिल से, निकालते क्यूँ हो?

महफिलों में मुझसे, किनारा करने वाले
मेरी शायरी मे ख़ुद को ख़ंगालते क्यूँ हो?

नज़र तो तुम्हारी, अपने बस मे नहीं  है
बात ज़ुबान तक आए तो टालते क्यूँ हो?

ख़ामोशी काफ़ी हैं तुम्हें बहकाने के लिए
तुम शराब से ख़ुद को, संभालते क्यूँ हो?

मुहब्बत से कहते हो,  मुहब्बत  नहीं हैं
तुम ख़ुद को हि धोख़े में, डालते क्यूँ हो?
~ Shraddha

Monday 13 November 2017

कभी सोचा न था, हम इतने कमज़र्फ़ निकलेंगे।

ज़रा सा  दिल दुख़ेगा, और हर्फ़  हर्फ़ निकलेंगे
कभी सोचा न था, हम इतने  कमज़र्फ़ निकलेंगे।

ध्यान रहे कि सडकों से ही, तफ़तीश की जाएगी
क्या रास्ता दिख़ाया हमें हम जिस तरफ़ निकलेंगे।

ज़रुरत होगी गरमाहट कि, वक्त ठंडा  पड़ने पर
आग उगलने वाले लोग ही, सख़्त बरफ निकलेंगे।

माना कि सूख़े दरख़्तों से, फल मिला नही करते
कल छाँव देने के लिए मगर, यही ज़र्फ़ निकलेंगे।
~ श्रद्धा

Saturday 11 November 2017

इश्क और मोहब्बत

ग़ुमान इस बात का था,
इश्क़ से मुख़ातिब हुआ था मैं।
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मलाल इस बात का हैं,
मुहब्बत से महरूम रह गया!
~ श्रद्धा

Thursday 2 November 2017

हम तो इसी फ़िराक़ मे हैं, कि डूबोए भवर हमको

माना दरमियाँ  हो गया है मनमुटाव, क्या  कहिए
पर आज भी बरक़रार है उनसे लगाव क्या कहिए।

हम तो इसी फ़िराक़ मे हैं, कि डूबोए  भवर हमको
लेकिन रफ़्तार मे है ज़िन्दगी का बहाव क्या कहिए।

कितने नौजवान सर को हाथ पकड़े कहते फिरते हैं
अब तो ख़ैर हम ख़ेल  ही चुके ये दाँव, क्या कहिए।

ज़िन्दगी  की कड़ी धूप, हम झेल भी चुके अब क्या
सर्दियों में भला किस काम की ये छाँव, क्या कहिए।
~ Shraddha

Sunday 22 October 2017

ज़रासा मैं फ़िसला था, तो हुआ तजुर्बा ऐसा...

रात तो मेरी होगी, मग़र ढल तुम  जाओगे
कभी सोचा न था इतनें बदल तुम जाओगे।

ज़रासा मैं फ़िसला था, तो हुआ तजुर्बा ऐसा
क्या ख़बर थी मुझको, संभल  तुम जाओगे।

ज़िन्दगी उतर आएगी, लतीफ़े सुनाने तुमको
कैसी कैसी हँसी को भी, निगल तुम जाओगे।

ख़ुश्क ज़िन्दगी यार, आँखो को हरा करती है
पानी मे तरबतर हो के भी जल तुम जाओगे।
~ Shraddha

Saturday 21 October 2017

मै कहूँगा दफ़ा हो जाओ, पर तुम जाया न करो।

कपट मन का ख़ुद ब ख़ुद सामने लाया न करो
दाद देते देते जनाब, तुम हिचकिचाया न करो।

मन का कालापन, रंग उड़ा ही देता हैं चेहरे का
झूठी मुस्कान से ख़ामख़ा, जगमगाया न करो।

डर होता हैं अक़्सर, ख़्वाहिशों के बह जाने का
कंबख्त आँखे तुम बे वक़्त, भर आया न करो।

फक़त वो लमहे हसीन थे, जब वो ये कहता था
मै कहूँगा दफ़ा हो जाओ, पर तुम जाया न करो।
~ Shraddha

Sunday 15 October 2017

बेवजह मैंने किसी की तरफदारी नहीं की।


दुनिया में रहकर भी, दुनियादारी नहीं की
बेवजह मैंने किसी की तरफदारी नहीं की।

फ़िका हैं ज़ायका मेरा! होगा भी क्यों ना?
करके ज़ुबान मीठी, नियत ख़ारी नहीं की।

दफ़ा कर दिया अश्क़ो के ज़रिए से ही सबने
नाजों से बिठाकर के पलके, भारी नहीं की।

रोज़े पर हूँ मुसलसल, मैं उसूलों  के अपने
जहाँ मिलीं नहीं वफ़ा मैंने इफ़्तारी नहीं की।

बच्चों के लिए सिर्फ, तस्वीर न रहे इसलिए
घर के ऊपर मैंने कभी ,दावेदारी नहीं  की।
~ श्रद्धा

Friday 29 September 2017

उस पार का होकर भी, इस पार रहता हैं

उस पार का होकर भी, इस पार रहता हैं
इत्मिनान  से बैठकर भी, बेक़रार रहता हैं।

दिल के बाहर तो मियाँ, अदाकारी होती हैं
दिल के अंदर लेकिन, इक ग़ुबार रहता  हैं।

फ़क़त ख़ुदा के सामने, मग़रूरी चलती हैं
बंदे के लिए तो फ़क़ीर, ख़ाक़सार रहता हैं।

ख़ुद से ग़द्दारी की, और इंतहा क्या होगी?
तुझे बेदख़ल करके, तेरा इंतज़ार रहता हैं
~ Shraddha

Wednesday 27 September 2017

बड़े ही शान-ओ-शौकत से वो, गल्ले पे बैठेंगे।

चौके छक्के ख़ुद ही आकर, बल्ले पे  बैठेंगे
क़लम न छुए हाथ भी चाबी के छल्ले पे बैठेंगे।

चवन्नी अठन्नी का भी जिनको, फ़र्क नहीं पता
बड़े ही शान-ओ-शौकत से वो, गल्ले पे बैठेंगे।
~ श्रद्धा

Tuesday 26 September 2017

नुमाइश के दौर में ये हुनर भी, मेज़बान रख़ते हैं।

नुमाइश के  दौर में ये हुनर भी, मेज़बान रख़ते हैं
थाली मे निवाले कम, महँगा दस्तरख़ान  रख़ते हैं।

गया वो दौर कि इश्क में, हथेली पर जान होती थी
अब तो सर झुकाए सब  उँगलियों में जान रख़ते हैं।

सरेआम तहज़ीब नाप कर, फ़क़त इतना समझा हैं
'छोटी' सोच वाले ही अक़्सर 'लंबी' ज़ुबान रख़ते हैं।
~ श्रद्धा

Monday 25 September 2017

नुमाइश के दौर में ये हूनर भी, मेज़बान रख़ते हैं।

नुमाइश के दौर में ये हूनर भी, मेज़बान रख़ते हैं
थाली मे निवाले कम, महँगा दस्तरख़ान रख़ते हैं।
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गाँव में गाँव वालों सें भी, पिछड़े तो वो लगते हैं
सफ़ेद हादसे पर भी जो, फ़िरंगी ज़बान रख़ते हैं।
~ श्रद्धा

Saturday 23 September 2017

मेरी ख़ामोशी को क्यो ग़ुरूर समझ लेतें है। .

न जाने क्या क्या आप हुज़ूर समझ लेतें है
मेरी ख़ामोशी को क्यो ग़ुरूर समझ लेतें है।
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मुसलसल कदमों मे, पड़ा हैं  अग़र पत्थर
क्या ख़ूब कि उसें, कोहिनूर समझ लेतें हैं।
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जहन्नुम से बचाने के सदके तो वो करती है
ये और किसे जन्नत की, हूर समझ लेतें हैं।
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तेरे तसव्वुर से शराफ़त, धोख़े में आ गई है
बैठे बैठे सब नशे मे हमें, चूर समझ लेतें हैं।
~ श्रद्धा

Thursday 21 September 2017

ग़म को पढ़ने मे कोई माहिर नहीं हैं।

यूँ भी तो नहीं, की आँख़ों से ज़ाहिर नहीं हैं
कलम से कहने वाला हर कोई शाहीर नहीं हैं।
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यूँ तो ज़मानें में, होशियार बने फ़िरते हैं सब
बस ग़म को पढ़ने में हि, कोई माहिर नहीं हैं।
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दुनिया मे घूमकर हि असली दुनिया को जाना
की वो तो घर के अंदर हैं, कही बाहिर नहीं है।
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चश्मदीद कई होते हैं, मेरे चश्म-ए-तर पे यूँ तो
लेकिन मुसाफ़िर है सब कोई मुज़ाहिर नहीं हैं।
~ श्रद्धा

Tuesday 19 September 2017

पहली ही नज़र में मग़रूर दिख़ रहा हैं

आज भी दोपहरी में, डूबा लगता हैं
ये दिल भी मुझको, अजूबा लगता हैं।

पहली ही नज़र में मग़रूर दिख़ रहा हैं
उसे तो ज़िन्दगी का, तजुर्बा लगता हैं।

इस दौर में ख़ामोशी भी वहीं पनपती हैं
सब को जो अपना, हमज़ुबा लगता हैं।

ज्यादा बातें सुनकर, ज़हन ये सोचता हैं
वो समझदार होगा, जो बेज़ुबा लगता हैं।
~ Shraddha

Sunday 17 September 2017

नुमाइश

जश्न के नाम पर ये जो
नुमाइश करते हो न तुम

यहीं सबब हैं की मेरी
नज़रअंदाज़ी को,
रश्क समझ लेते हैं लोग!
~ श्रद्धा 

Friday 15 September 2017

ज़िन्दा रहने में और जीने में तो फ़र्क होता हैं जानी


किसी रोज़ तो ज़िन्दगी का, ये दस्तूर समझ आएं
की सज़ा जिसकी मिलती हैं वो क़सूर समझ आएं।
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ज़िन्दा रहने में और जीने में तो फ़र्क होता हैं जानी
की ज़िन्दगी जिसेे कहते हैं, वो फ़ितूर समझ आएं।
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अच्छी ख़ासी तालीम उनको तजुर्बों से मिलीं होगी
पहली ही नज़र में जो हमको मग़रूर समझ आए।
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चलो माना की देर तो हैं अंधेर नहीं तेरे घर; लेकिन
अपने हिस्से का हमको भी कभी, नूर समझ आएं।
~ Shraddha


Saturday 9 September 2017

Tu do jaam laga ke pagle khud ko diwana kehta hai!

वो तो नहीं कहते, उनका हर एक ताना कहता हैं
मैं हारकर भी नज़र में हूँ ये ख़ुद ज़माना कहता हैं।
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मोहब्बत अच्छे अच्छे को मियाँ, होश में ला देती हैं
तू दो जाम लगाके पगले ख़ुद को दीवाना कहता हैं।
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तेरे बुलंदी की सुर्ख़ियाँ तो, हर अख़बार मे छपती हैं
तेरी हार का किस्सा मगर सिर्फ़ ये विराना कहता हैं।
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इस दौर के नग़मे भले ही, 'मोहब्बत करना' सिख़ा दे
'मोहब्बत निभाए कैसे' उस दौर का तराना कहता हैं।
~ Shraddha

Monday 4 September 2017

Kisi ki jeb me rehna

ताज में जड़ें रहना हैं,  या क़बूल हैं पाज़ेब में रहना
रहना हैं किसी के दिल में या किसी की जेब में रहना।

मान लो तो बहुत सुक़ून हैं, एक वक़्त के फ़ाक़े में भी
मानो तो बहुत मुश्किल हैं, शोहरत के फ़रेब में रहना।
~ Shraddha

Fankar apni khalwat mr khud ko tabinda kar lete hai!

अच्छी ख़ासी ज़िन्दगी में, ये इक काम गंदा कर लेते हैं
फ़क़त शायरी के वास्ते, रोज़ ग़म को ज़िन्दा कर लेते हैं।
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मोहब्बत में ख़ामोशी और इशारे भी जवाब देने लगे तो
बड़ी ही मायूसी से हम, ज़ुबान को शर्मिन्दा कर  लेते हैं।
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ज़रूरत कहाँ हैं इन्हें, इस फ़र्जी दुनिया के चकाचौंध की
फ़नकार अपनी ख़लवत में, ख़ुद को ताबिंदा कर लेते हैं।
~ Shraddha

Friday 1 September 2017

Tere tasavvur me jab shumar rehte hai!

तेरे तसव्वूर में, जब शुमार रहते हैं
फक़त उसी वक़्त ग़ुलज़ार, रहते हैं।
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दस से पाँच तक तो, काम रहता हैं
या सच कहे तो तभी बेक़ार रहते हैं।
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इक तुझसे वक़्त को नगद मे लेकर
कितने ही हैं जिन पे, उधार रहते हैं।
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जब से मिला हैं, 'दिल' को ठिकाना
'ज़हन' से न जाने, कहां यार रहते हैं।
~ श्रद्धा

Friday 25 August 2017

Mai shayar hu! Apne fun ko chhutne nahi deta!

ग़मों का अपने ख़ज़ाना, किसी को लूटने नहीं देता
मियाँ मैं शायर हूँ! अपने फ़न को छूटने  नहीं देता।
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ख़ामोशी मजबूरी हो, तो क़लम से इश्क़  लाज़मी हैं
यहीं तिकड़म हैं की दम को अपने, घूटने नहीं देता।
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अजीब 'ख़ौफ़' हैं जो रात रात भर, जगाए रख़ता हैं
पर शुक़्र हैं! जो जुड़कर मुझसे, मुझे टूटने नहीं देता।
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मेरे तजुर्बे बताते हैं की ख़ास नज़र हैं मुझपर उसकी
यहीं वजह हैं की ख़ालिक़ से यक़ीन उठने नहीं देता।
~ श्रद्धा

Manzilo par pahunchne ka jab rasta milega muze!

मंज़िलों तक पहुँचने का जब रास्ता मिलेगा मुझे
अंजानों का चेहरा भी तब, हसता मिलेगा मुझे।
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माना की ज़रा महँगे हैं अब दो पल भी लोगों के
ऊँचाइयों पर अच्छा अच्छा सस्ता मिलेगा मुझे।
~ श्रद्धा

Friday 18 August 2017

इस ज़माने की नज़र में, हम यूँ ही अच्छे थोड़ी बने!

कैसे कैसे तजुर्बों मे, यार शामिल किया हैं ख़ुद को
अक़ड़ हैं तो अक़ड़ के, क़ाबिल किया हैं ख़ुद को।
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तुम तो भीड़ हो ग़ुजरती! मियाँ तुम को क्या ख़बर
जरा रुक कर पहले, मैंने हासिल किया हैं ख़ुद को।
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ये क़लम भी तेरी बेवफ़ाई को, बेनक़ाब नहीं करती
धत्!की मेरी वफ़ा ने ही बुज़दिल किया हैं ख़ुद को।
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इस ज़माने की नज़र में, हम यूँ ही अच्छे थोड़ी बने
ख़्वाहिशों को मारके मैंने क़ातील किया हैं ख़ुद को।
~ श्रद्धा

Tuesday 8 August 2017

हम भी कभी-कबार उन फ़रिश्तो से, बराबरी कर लेते हैं।

लोग काम वाम कर लेते हैं! कैसी मगजमारी कर लेते हैं
और इक हम ठहरे मस्तमौला, शायरी-वायरी कर लेते  हैं।
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ज़िन्दगी को जीने का मियाँ सलीक़ा ही नहीं आया हमको 
कोई मुस्क़ूरा भी चल दे, उसकी शुक़्र ग़ुज़ारी कर लेते हैं।
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सच कहें तो मिजाज़ अपना, कुछ रंगीन था उस वक़्त में 
उसके हिज्र का कमाल, अब सबसे वफादारी कर लेते हैं।
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चंद सिक्कों की ख़ैरात देकर DSLR से फोटो खींचवा कर
हम भी कभी-कबार उन फ़रिश्तो से, बराबरी कर लेते हैं।

Tuesday 1 August 2017

For my younger Brother

वैसे तो हमेशा लगता हैं की क्या ordinary life हैं यार! पर जब ख़याल आता हैं तुम्हारा, तब लगता हैं मैं special हूँ😊
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पिज्जा का आखिरी slice भी हाथ से छीन कर खाने वाले तुम,जेब से 1रूपये की एक ही candy निकलने पर आधी तोड़कर मुझे देते हो, तब लगता हैं मैं special हूँ 😊 मुझे हमेशा मोटी, भैस, चुडैल कहने वाले तुम, अपने  दोस्तों से introduce कराते वक्त बड़े ही अदब से... इनसे मिलीए! ये मेरी "दीदी" हैं कहते हो😂😂 तब लगता  हैं मैं special हूँ 😊 बढ़ती उम्र के साथ दुनिया में "Mature" बन के घूम आने पर, घर पे wafers के  packet के आखिरी wafer के लिए भी जब हम ऐसे लड़ते हैं जैसे जनम जनम से भूखे हो😂😂 तब लगता हैं मैं special हूँ 😊 लड़की-वडकी के चक्कर में मैं नहीं पडता कहने वाले तुमको, जब मैं mobile देखकर  blush करते हुए पकड़ लेती हूँ... और तुम literally बत्तीसी दिखाकर बेशर्मों की तरह हँसते हो, तब लगता है मैं special हूँ😊 शेर-ओ-शायरी में रत्ती भर का भी interest ना होते हुए, मेरी हर शायरी को मेरे आँखें दिखाने पर जबरन सबसे पहले सुनने वाले तुम, "वाह" ये घीसा पीटा एक ही word बोलते हो😂😂 तब लगता हैं मैं special हूँ!😊 पानी का गिलास तक अपने हाथ से न उठाने वाले तुम, रात के एक बजे जब मैं कहती हूँ, यार बड़ी भूक लगी हैं! पर कुछ भी करना जान पे आ रहा हैं... तब मुझे attitude वाला look देकर... खुद Maggie बनाकर जब मुझे कहते हो, ये एहसान तुझपे उधार रहा😊 तब लगता हैं मैं special हूँ 😊 मुझसे 5 साल छोटे होने के बावजूद, सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे shaving न करने की वजह से मुझसे 5 साल बड़े दिखते हो.... तब लगता हैं मैं special हूँ😅😂 "मैं तुझे hair dryer दूंगी; तू मुझे hotspot देगा", जब हम ऐसे निहायती वाहियाद Deals करते हैं.... तब लगता हैं मैं special हूँ😂😊 Sandeep Maheshwari के Videos से ले के, KRK के TWEET तक... जब हम पागलों जैसा Discussion करते हैं... और वो भी पता नहीं क्यों?😅😂 तब लगता हैं मैं special हूँ😊तुम्हारे, "शादी की उम्र हो गईं तेरी! जल्दी से शादी कर, और निकल जा मेरे घर से" कहने पर जब मैं ख़ामोश हो जाती हूँ... और तुम "मेरे जैसे कमिने बहुत हैं दुनिया में! मेरे जैसों का तो मुँह तोड़ देना चाहिए!" कहकर मुझे हँसाते हो, तब लगता हैं मैं special हूँ😊

Monday 31 July 2017

Ek Kahani Aisi bhi

Small Town लड़की & बड़े शहर का so called हाय फाय लड़का on their first date!!
(अब गाँव  की लड़की  और शहर का लड़का  Date पर गए ही कैसे,  ये फिर  कभी  बताएँगे )
लड़की : (खुद  से बडबडाते हुए ) कुछ  भी हो! मुझे अपना impression तो जमाना  हैं! साबित  करना हैं  की मैं भी बड़े  शहर वाली लड़कीयों की तरह super cool हूँ!😡😞
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Finally... on their Date location ( थोड़ा बहुत normal introduction होने के बाद)
लड़का : so... tell me something  more about  yourself!
लड़की : (हलका सा blush करते हुए जरा धीमी  आवाज  के साथ )You ask ना whatever  you want ☺
लड़का : Okay!! Tell me about  your likes & dislikes!
लड़की: ( 2-3 सेकंड का pause लेकर, आधे घंटे तक रटाया हुआ sentence बोलते हुए ) यो डूड! आई जस्ट लव्ह इंग्लिश साँग्स या!
लड़का: Ohhh... that's Cool!! Favorite song?
लड़की: वहीं... जस्टिन बीबर का Baby Baby वाला!
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लड़का:5-6 सेकंड freeze हो के कुछ भी expression ना देते हुए, हक्काबक्का हो के दिल ही दिल में! (हाहाहाहा😂😂) Ohh great!! Thats indeed a lovely song! (फिर 2-3 सेकंड रूक के) अच्छा और कुछ बताओ!
लड़की: तुम ही पुंछो ना तुमको जो पुंछना हैं!☺
लड़का: (फिर 2-3 सेकंड रूक के) अच्छा अंग्रेजी गाने सुनती हो तो हिंदी के साथ अंग्रेजी फिल्में भी देखती होगी तूम?
लड़की: दिल मे (यार हा बोलू की ना बोलू? 😟) बिलकुल देखती हूँ जी, क्यूँ नहीं देखूंगी?
लड़का: Woww!! Twilight पसंद हैं?
लड़की: (2-3 सेकंड रूक कर, फिर Excited होकर) पसंद क्या जी first day first show देखकर आ रही हूँ!
लड़का: ( जरा shocking look देकर) First day first show देख के आ रही हूँ¿¿¿¿
लड़की: और क्या जी!! Flop हो गई पर!
लड़का: ( और ज्यादा shocking look देकर)  Flop होगई?? 😦😯 कह क्या रही हो तूम???
लड़की: Tubelight जी!! अपने सल्लू की! वहीं पुंछ रहे थे ना तुम?
लड़का: गर्दन  झुका के आँखो पे हाथ रखते  हुए  फिर दिल में ( ये सुनने से पहले मैं मर क्यूँ नहीं गया? 😢😢)
लड़की: क्या हुआ? तुम को भी बहुत पसंद आईं क्या tubelight?
लड़का: ( जरा धीमी आवाज से sarcastic way में) हाँ! मुझे तो "Tubelight" इतनी पसंद आईं की मेरे दिमाग का light  fuse हो गया!😅😂😂😢😢😢
लड़की: जी??? कुछ कहा तुमने?
लड़का: (फट्ट से जवाब देते हुए) कुछछछछ नहीं कहा यार!! चलो छोडो फिल्मों गानों की बातें! कुछ soft drink वगैरह लोगी?
लड़की: (फिर 2-3 सेकंड दुविधा में फसते हुए) जी नहीं! मैं drink नहीं करतीं! ☺☺ तुम कोक-शोक
मंगालो☺
लड़का: (10-12 सेकंड फिर freeze  होते हुए)
लड़की: (लड़के के सामने चुटकी बजाते हुए) कहाँ खो गए तुम☺☺
लड़का: ( फिर sarcastic way में बोलते हुए) कुछ नहीं! मैं भी soft drink नहीं पीता! कोक-शोक ही पी लेता हूँ बस! ☺☺😅😅😂😂
(2-3 minute बाद )
लड़का : sorry yarr... friend का message हैं! Urgent हैं! जाना होगा! I hope तूम अकेले चली जाओगी!
लड़की : (जरा nervous हो के) कोई बात नहीं!😊 मैं  चली जाऊंगी!😊
लड़की : (5-10 मीनट वहीं बैठकर दिल मे बडबडाते हुए ) मैं ही बेवकूफ हूँ! मुझे समझ जाना चाहिए था! बड़ी आईं थी कूल शूल बनने!

(After 8-9 days)

लड़का लड़की से उसका assignment लौटाते हुए : सून! तुझे thnkUu कहना था!
लड़की : (कोई भी expression ना देते  हुए ) हमममम!!
लड़का : यार दिल से thnkUu! तूने  मुझे  अपना assignment copy करने दिया!
लड़की : हममममम!
लड़की : अच्छा! अकड मत!
 मैं sorry कह रहा हूँ ना! मुझे उस दिन इस तरह से उठके जाना नही चाहिए था!😟 और तुझे तबसे ignore किया उसके लिए भी माफ कर दे!😒
लड़की : जाने दे! भूल जा!
लड़का : यार मैं sorry कह तो रहा हूँ ना !😟 पर तू भी कितनी dumb निकली 😟 तुझे आज के जमाने में थोड़ा तो UPDATED होना  चाहिए!
लड़की : (नजरे झुका के शर्मिंदगी के साथ) सही कह रहे हो तूम!
लडका : अच्छा हम दोस्त तो बन ही सकते हैं! (लड़की की तरफ दोस्ती  का हाथ बढ़ाते हुए ) Friends? ?
लड़की : (लड़के के हाथ के तरफ देखते हुए!) इसकी जरूरत नहीं  हैं! मैं  तुझे ऐसे भी notes दे दिया करूँगी!
लड़का: यार क्यों शर्मिंदा कर रही हैं? मैंने sorry कहा ना😟
लड़की : चल ठीक हैं! दोस्ती भी कर लेंगे! उस दिन तूने सवाल पुंछे ना? आज मैं पुंछती हूँ!
लड़का : हाहाहा😁 अबे तू कुछ भी पुंछ! बेटा मेरेको सब पता हैं!
लड़की : ठीक हैं फिर! चल बता! 1 hector equals to कितने acre?
लड़का : क्या??¿¿¿¿😯😮😦 पागल वागल  हो गई क्या?? कुछ ढंग का पूछ्! 😡
लड़की : कोई बात नही! 50 kg cement bag का volume बता दे!😊
लड़का : 😢😢 लगता हैं तेरा दिमाग खराब हो गया! 😢😢 अनाब शनाब बके जा रहीं हैं 😢
लड़की : अच्छा चल! plain table survey के बारे में ही बता दे!
लड़का : वो तो पिछले sem में ही पढ लिया  ना? 😡😟 इस sem में इस सवाल  का क्या काम?
लड़की : (ताली बजाते हुए ) क्या जवाब दिया  लड़के 😂😂जीयो😂😂
लड़का : मेरी माँ! साबित क्या करना चाहती हैं? 😯😦😞😏😏
लड़की : बस यही साबित कर रही थी! की कौन कितना "UPDATED" हैं! 😊😊
लड़का : ठीक हैं भाई! समझ गया! तू जीती, मैं हारा!
लड़की : (वहाँ से निकलते हुए )
लड़का:  दोस्ती तो करले लड़की! मैं तेरे को हाय फाय बनना सिखा दूँगा, तू मुझे तेरी होशियारी सीखा देना ☺

ये कहानी यहाँ खत्म हुई, लेकिन छोटे शहर वाली लड़की और बड़े शहर वाले लड़के की impossible लगने वाली love story शुरू हो गईं थी☺
~ Shraddha R. CHANDANGIR
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P.S. - ye ek kalpnik katha hai! iska mere vaastavik jeevan se koi sambandh nahi hai! _/\_

Thursday 27 July 2017

तख़्त-ओ-ताज पे जो बैठा हैं चीख कर बैठा हैं।

बड़े ही ऊँचे ओहदे पे, जो टिक कर बैठा हैं
तुम आज भी महँगे हो, वो बिक कर बैठा हैं।
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उम्र तुम्हारी कच्ची हैं सबको सिखाने में लगे हो
वो ज़िन्दगी के दावपेंच को, सीख कर बैठा हैं।
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जोख़िम उठाने के डर से, ख़ुद मे छुपते रहे हो?
बुलंदियों पे जो बैठा हैं सबको दिख कर बैठा हैं।
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ख़ामोशी से रहोगे, तो यहाँ मस्ख़रे बन जाओगे
तख़्त-ओ-ताज पे जो बैठा हैं चीख कर बैठा हैं।
~ श्रद्धा

Kahani adhuri hi sahi, Ishq mukammal hai!!

Bikes, leather/jeans jackets, check shirts, shoes, एक हाथ में steel का कड़ा, collage में हर हफ्ते किसी न किसी से पंगा या किसी lecturer से Argument! शायद ही किसी लड़की से दोस्ती, लेकिन एक दोस्त जिसकी दोस्ती माँ-बाप के रिश्ते से भी ज्यादा गहरी!

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उपर लिखी हुई बातों से अंदाजा लगाना मुश्किल हैं की यहाँ किसी लड़के की नहीं, लड़की की बात हो रहीं हैं!😯 एक लड़की... ज्यादा किसी से लेना देना न रखने वाली... जरा मर्दाना लहजे मे बात करने वाली! दिल मे कुछ राज दफन करके अपनी ही दुनिया में खोकर रहने वाली!!

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लेकिन इन सब के बीच में कोई एक था जो उसे जान से भी ज्यादा प्यारा था! एक ऐसा दोस्त, जो इस से दो साल senior, लेकिन अब इसका classmate कहलाने वाला!😑 जो मनमौजी था! बाग़ी था! जिंदगी और मौत की परवाह न करते हुए तेज रफ्तार से bike भगाने वाला! हर आती जाती लड़की से flirt करने वाला, Restaurant के owner से ले के Restaurant के waiter तक जी जान वाली दोस्ती रखने वाला! गरीब cancer patients के लिए अपनी जेब से donation देने वाला लेकिन खुद दिन में 10-12 cigarette फूँकने वाला!😑

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वैसे तो वो अक्सर कहता था
मेरी माँ, लड़की की तरह रहा कर! कुछ नजाकत, कुछ शर्म-ओ-हया सीख ले! लड़की की तरह कपड़े पहन लिया कर! ज्यादा नहीं, पर थोड़ा बहुत मेक अप कर लिया कर!
कह तो देता था! फिर न जाने क्यूँ, collage छूटने के बाद कहता था, चल तेरी Activa मुझे दे दे! मेरी pulsar तू चला ले!
और लड़की कहती थी, बस!!! साले तेरी यही बात तो मेरे समझ में नहीं आती! तेरे दिल में कुछ और चलता हैं, तेरी जुबान पे कुछ और होता हैं! आखिर चीज क्या हैं बे तू??
और लडका हमेशा की तरह कहता था! कितनी बार कहा हैं! इतना दिमाग मत लगाया कर! तेरे घुटने दर्द करेंगे!😂

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वो अलग था! वो सबसे अलग था! कुछ राज तो उसके भी थे! खैर...

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2 साल होगए! वो शहर छोड़कर! उसे छोड़कर!

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आज भी अगर किसी से अनबन हो जाती हैं, तो वो दिन याद आते हैं! उसका किसी से झगड़ा होता था, तो सामने वाले का मुँह तूट जाता था! लेकिन लड़की की किसी से लड़ाई हो, तो लड़का हाथ पैर जोड़ के सामने वाले से कहता था, जाने दे ना भाई! माफ करदे!

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हर आती जाती लड़की से flirt करने वाला लेकिन इस लड़की की सच्ची care करने वाला!
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वो आखिरी दिन था! दोनों जानते थे! आज के बाद कोई किसी से नहीं मिलेगा! अगले दिन, सुबह station पे मिलना तय हुआ था! पूरी रात रो कर, अगली सुबह station पर लड़की इंतजार कर रही थी! बार बार घड़ी की तरफ देख रही थी! दिल ही दिल में उसे गालिया भी दे रही थी! Train का वक्त हो चूका था! ये इसका फोन क्यूँ नहीं लग रहा? Train आती ही होगी! उतने में पीछे से एक 9-10 साल का बच्चा आया! और लड़की के हाथ मे एक लेटर थमा गया! लेटर के उपर लिखा था! इसे plz घर जाकर पढ़ना! लड़की समझ चुकी थी! वो नहीं आएगा! Train भी platform पर आ चूकी थी!

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आज भी वो लेटर संभालके रखा हैं! उसने लिखा था, अगर तू मेरी होती तो कसम से दुनिया की परवाह न करते हुए मेरी जगह तू घोडी पे बैठकर मेरे दरवाजे पर बारात ले आती! पूरी जिंदगी भर तू bike चलाती और मैं तेरे पीछे बैठता! लेकिन अब तुझे बदलना होगा! लोगों से मिलना होगा! न चाहते हुए भी 4 लोगों में बैठकर हसना होगा! मैंने तुझे कभी नहीं पुंछा की तेरे दिल में आखिर ऐसी कौनसी बातें हैं, ना तूने मुझे कभी पुंछा! लेकिन सब भूलकर तुझे बदलना होगा! आगे बढ़ना होगा! जिंदगी बहुत लंबी हैं, और ये किसी के आगे नहीं झुकती! हमें ही जिंदगी से समझौता करना पड़ता हैं! मेरी जान, plz अपने आप को बदल! जिंदगी को जीना सीख! Take Care!

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किसी और के लिए ना सही,उसके लिये ही सही! अब लड़की वाकई बदल गईं हैं ! कहीं कुछ अनबन होने की गुंजाइश भी हो तो sorry कहना सीख गईं है!☺ Gym में dumbbell उठाने वाले हाथ, अब बेलन चलाना सीख गए हैं☺ अबे, ओय की जगह बातों में तहजीब आ गईं हैं☺ सुबह 4 बजे WWE की Live match देखने के लिए उठने की बजाय, अब देर रात तक मीर तकी मीर की शायरी पढ़ी जाती हैं☺ सोते वक्त भी अक्सर चश्मा वैसे के वैसा रह जाने वाली आँखों पर अब काजल और mascara लगाएँ बीना कोई selfie नहीं ली जाती, इसी उम्मीद में की शायद किसी गुमनाम Facebook ID से आज भी उसे वो देखता हो!☺ सब का कुछ न कुछ अतिथ होता हैं! कोई उसे भूल जाता हैं, तो कोई उससे बाहर नहीं आ पाता! collage के उन कुछ सालों ने लड़की को फिर से जीना सीखा दिया था!☺ हसना सीखा दिया था! ☺ सब की अपनी मजबूरी होती हैं! वो कहाँ हैं, क्या करता हैं ये उसने भी कभी जानने की कोशिश नहीं की!  शायद वो भी समझ चूकी थी, ये कहानी भले ही अधूरी हो, इश्क मुकम्मल हैं☺

Saturday 22 July 2017

Benaam Rishta

गले मे गमछा! 24 घंटे मुँह मे गुटखा! आवारागर्दी में साथ देने वाले उसके 4 कमिने दोस्त! और college के बाहर footpath पे इस तरह डेरा जमाए बैठना जैसे वो footpath उसके ससूर जी ने उसे दहेज मे दिया हो!😑
शायद ही किसी लड़की को ऐसी quality वाला लड़का पसंद आए! पर जब मत ही मारी गईं हो तो कोई क्या कर सकता हैं!! 😏

अभी भी वक़्त हैं, पढ़ ले!! आगे बहुत पचताएगा!!
हमेशा की तरह आज भी मेरा वहीं dialogue!
अरे जान! पढ़ाई गईं भाड़ में! बाप का पैसा किस दिन काम आएगा?
हमेशा की तरह उसका भी वहीं जवाब!

यार कुछ भी बोल! तेरी roommate के आगे तो कसम से कटरीना भी फिकी हैं!😆😁
अच्छा?? इतना मर रहा हैं तो जा उसके पास! मुझसे मिलने क्यूँ आता हैं!😡😡😔

ठीक हैं! तू कहती हैं तो आज से ही तुझसे मिलना जुलना बंद😂😂
मेरी आँखों मे देखते हुए हँसकर उसका ये कहना, और
हमेशा की तरह मेरा नजरें चुराकर कहना
हा ठीक है ठीक हैं!! नाटक मत कर! बड़ा आया मिलना जुलना बंद करने वाला!! जा दफा हो! तेरे वो 4 चमचे तेरा इंतजार कर रहें होंगे!😡😞😔😏

अबे ओय!! तू मुझको गाली दे दे! पर मेरे दोस्तों को कुछ बोला तो याद रख!😠😡
(और सौतन कि तरह, मेरा उसके दोस्तों से जलकर ये कहना)
हा चल चल निकल! आया बड़ा दोस्तों का ठेकेदार! 😠😞😒

प्यार-व्यार, मोहब्बत, commitment ऐसा तो कुछ हम दोनों में कभी नहीं था! पर दोनों जानते थे, हमारे रिश्ते को किसी नाम की जरूरत नहीं!

अक्सर मैं कहती थी! चलो, किसी ऐसी जगह चलें! जहाँ सिर्फ तुम हो; और मैं हूँ!
क्या??? सिर्फ मैं और तुम??? बेटा... अच्छे घर की लडकीयाँ ऐसी बाते नहीं करती!😆😁😄 हा हा हा हा!
और हमेशा की तरह उसका ऐसे ही बात को टाल देना!

( कभी कभी समझ नहीं आता था, कि शराफत का चोला पहनकर लड़कीयों का फायदा उठाने वाले सही हैं, या गालीगलोच और आवारागर्दी करने वाला, लेकिन कभी मेरा हाथ तक न पकड़ने वाला, ये सही हैं!) खैर....

तेरे दिल मे कुछ तो बाते हैं, जो तू बताता नहीं हैं! और वो बातें तुझे मुझको बता देनी चाहिए!
अरे पगली, इतना मत सोचा कर! इतना दिमाग पढ़ाई में लगाएगी, तो आगे चलके पती भी अच्छा पढ़ा लिखा मिलेगा!

पढा लिखा पती तो मुझे मिलने से रहा! क्यूँ की तूने तो पढ़ाई छोड़ दी ना! 😉😄😃
इस बार मेरा उसकी आँखों में देखते हुए, हँसकर ऐसे कहना....
हा चल ठीक हैं! मैं निकलता हूँ! और इतना कहकर उसका आँखें चुराकर भाग जाना!

2 साल हो गए! वो शहर छोड़कर! उसे छोड़कर!

आज भी अक्सर wrong numbers आते हैं! मेरे hello कहने पर, कुछ पल ख़ामोशी रहती हैं! फिर उधर से आवाज़ आती हैं, ये फलाने वलाने का नंबर हैं क्या?

और मैं भी हँसकर कह देती हूँ, जी नहीं! इस बार भी शायद आपने गलत नंबर लगाया हैं!😊😊

Thursday 6 July 2017

आजकल तो कड़ी धूप को लिए, दिसम्बर भी आता हैं।

दिल मे ख़स्ता बंजरपन, आँखों में समंदर भी आता हैं
आजकल तो कड़ी धूप को लिए, दिसम्बर भी आता हैं।
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यूँ तो इस दिल को यक़ीन हैं की वो भूल चुका हैं मुझको
ग़ौरतलब हैं की अक्सर शामों में, राँग नंबर भी आता हैं।
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तहज़ीब बरक़रार रखी हैं हमने अपने पुर्खों की आज भी
पेपर बिल लाने वाला दो पल, घर के अंदर भी आता हैं।
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ये नुक़ीले लफ्ज मेरी सोच से भी, ज्यादा महँगे पड़ रहें हैं
बात मानो तो बाज़ार में सस्ता वाला, ख़ंजर भी आता हैं।
~ श्रद्धा

Wednesday 28 June 2017

हमें दिल पर भी तरस, खाना होगा।

जहाँ मन करें, वहाँ जाना होगा
हमें हि ख़ुद को आजमाना होगा।
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ज्यादा से ज्यादा होकर क्या होगा
होगा तो ख़िलाफ, ज़माना होगा।
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जो अपने होंगे वो सराहेंगे हम को
बाकीयोंका एक-आध ताना होगा।
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ज़ेहन में जगह सिर्फ जमाने के लिए
हमें दिल पर भी तरस, खाना होगा।
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इक पचतावे से दिल बैठा जाता हैं?
फिर अभी तो जोख़िम उठाना होगा।
~ श्रद्धा

Saturday 24 June 2017

कभी तो इत्मिनान से ठहरने को दिल करता होगा।

इस तनहाई से आगे ग़ुजरने को दिल करता होगा
कभी तो इत्मिनान से ठहरने को दिल करता होगा।
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बेज़ारी, मायूसी, वहीं तक़दीर-ओ-मुक़द्दर की बातें
ये सच हैं, तो सच से मुकरने को दिल करता होगा।
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संभलकर चलने के चक्कर में, तजुर्बे पीछे रह गए
जानबूझकर हि सही फिसलने को दिल करता होगा।
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माना कि हावी हैं, हक़ीकत-ए-ज़िन्दगी का ख़ौफ
फिर भी तसव्वुर में, बहलने को दिल करता होगा।
~ श्रद्धा

Wednesday 21 June 2017

ख़ामख़ा चैन को, दर बदर नहीं करना। .

अपनी नज़र को इधर उधर नहीं करना
ख़ामख़ा चैन को, दर बदर नहीं करना।
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वैसे भी नहीं हैं, जैसे नज़र आते हैं लोग
खबर रखना किसी को ख़बर नहीं करना।
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बंजर हो दिल किसी और का तो बेवजह
अपनी आँखों को, तर बतर नहीं करना।
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रंजिश इक तरफ, अपने उसूल इक तरफ
दुनियादारी का खुद पे, असर नहीं करना।
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ये माना कि तग़ाफुल भी जरूरी हैं लेकिन
नफरतों के लिए दिल में, घर नहीं करना।
~ श्रद्धा

Monday 12 June 2017

यूँ तो जिंदगी को जीने के इशारे बहुत होते हैं।

यूँ तो ज़िन्दगी को जीने के, इशारे बहुत होते हैं
लेकिन होता हैं यूँ, के हम बेचारे बहुत होते हैं।
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हमें हुनर आना चाहिए, किसी का हो जाने का
होते होंगे कुछ तो ऐसे, जो हमारे बहुत होते हैं
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ख़ौफ होना लाज़मी हैं ठिकाने से भी उस वक्त
जबतक यहाँ वहाँ अपने, ग़ुजारे बहुत होते हैं।
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ये भी वजह होती हैं, किसी को छोड़ जाने की
होते हैं तो लोग भी कंबख्त प्यारे बहुत होते हैं।
~ श्रद्धा

Thursday 18 May 2017

लोग तो सादगी से तबाह करते हैं।

बड़े ही सलीक़े से गुमराह करते हैं
कई बार जो हमें, आगाह करते हैं।
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ख़ैरियत पूँछकर के, दिन गीनते हैं
जताते हैं अपनी, परवाह करते हैं।
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होते नहीं हैं वैसे जैसे नजर आते हैं
लोग तो सादगी से तबाह करते हैं।
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बैचैनी भी अक़्सर, वही पनपती हैं
जो हर तरफ अपनी निगाह करते हैं।
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निकल आते हैं वो लोग भी काफीर
जो सजदा शाम-ओ-सुबह करते हैं।
~ श्रद्धा

Friday 5 May 2017

मनमानी

ताज्जुब हैं कि वो शख़्स मेरा भी नहीं
मेरे बिना जीना, जिसे गवारा भी नहीं।
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हक़ जताने वाला, उम्मीद पर भी उतरे
जैसे खेल हो उसी का, हमारा भी नहीं।
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रिश्ता हो अगर, तो जिम्मेदारी भी हो
महबूब का मतलब, आवारा भी नहीं।
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टूटकर यूँ ख़्वाहिशें, मुकम्मल कैसे हो
आसमान का मै कोई सितारा भी नहीं।
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बेबसी मोहब्बत पे हावी क्यों होती हैं?
ऐसा नहीं कि कोई और चारा भी नहीं।
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आशिक़ी अब इश्क़ में, तब्दील तो हो
ताउम्र तो ऐसे अपना, गुजारा भी नहीं।
~ श्रद्धा (30 January)

Wednesday 3 May 2017

Fashion

Fashion कि दुनिया भी मियाँ गजब कि दुनिया हैं पेट... भरने के लिए हि लोगों को अक्सर भुखा रहना पड़ता हैं!
~ श्रद्धा

Friday 28 April 2017

ये ज़िन्दगी अपने पत्तों को कब खोल दे, क्या मालूम

न चाहते हुए भी लहजे में, जी हुज़ूरी आ जाती है
अब ज़िन्दगी हैं तो बीन बताए मजबूरी आ जाती हैं।

नौबत आने पर खुद्दारी पर हि पेट भर लिया जिसने
उसको नज़र अब बच्चों की, भुखमरी आ जाती हैं।

ये ज़िन्दगी अपने पत्तों को कब खोल दे, क्या मालूम
दाँव पर अपनी सबसे महंगी वफ़ादारी आ जाती हैं।

फक्र करना खुद्दारी पे, गुरूर करना अलग बात हैं
कौन जाने एकदम से क़िस्मत की बारी आ जाती हैं।
~ श्रद्धा

Saturday 22 April 2017

दिखावे के होते हैं सारे दिल के गुलिस्ताँ!

आजकल कोई दिल्लगी का मरीज़ नहीं रहता
यार तो रखते हैं कई, कोई अज़ीज़ नहीं रहता।
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सलीक़े से हि नीभ जाते है जल्दबाजी में रिश्ते
जो हक़ से दखल दे, ऐसा बदतमीज़ नहीं रहता।
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इस खुदगर्जी भरे दौर में, चलने वाला हर शख्स
सहारा ले के चलता हैं, पर अपाहिज नहीं रहता।
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दिखावे के होते हैं सारे दिल के गुलिस्ताँ जिनमें
मोहब्बतों से बोया जाएँ, ऐसा बीज नहीं रहता।
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माॅडर्न लोगों में अदब के शायद, तरीके और होंगे
बिछड़ते वक्त होठों पर खुदा हाफिज नहीं रहता।
~ श्रद्धा

Thursday 20 April 2017

बेनाम रिश्ता हैं उसे खत्म कर दिया जाए।

क्यूँ न एक दूजे पर, ये रहम कर दिया जाए
जो बेनाम रिश्ता हैं, उसे खत्म कर दिया जाए।

हसरत कहती हैं, मोहब्बत सुकून का नाम हैं
जो हैं ये तकलीफ, तो इसे कम कर दिया जाए।
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बयां होती हैं मोहब्बत, ख़ामोशी से? ये झूठ हैं
चलो कि इस भ्रम को भी दफ़न कर दिया जाए।

आज लम्हे बन गए, तो फिर यादें रह जाएंगी
कल भर सकें, ऐसा कोई जख़्म कर दिया जाए।

मुंतज़िर हैं मुद्दत से, इक हसरत में जो आँखें
अपने हि अश्क़ो से, उन्हें नम कर दिया जाए।

आग़ाज़ कर देता हैं ख़यालों मैं, दिल-ए-नादान
चलो कि ये किस्सा भी, खत्म कर दिया जाए।
~ श्रद्धा

Wednesday 19 April 2017

सबब-ए-गुफ़्तगू

महफ़िल में तुझे मुझे देख कर, "आप" कहने लगे हैं
तेरे यार भी अपने रिश्ते को, साफ़ साफ़ कहने लगे हैं।

फ़कत अपनी ही नज़रें हैं जो गवारा नहीं करती, वर्ना
जो हमने कुबुला हि नहीं उसके खिलाफ कहने लगे हैं।

दरमियान जो ख़ामोशी हैं, इक वहीं हैं सबब-ए-गुफ़्तगू
और लोग हैं की तेरी मेरी बातें, बेहिसाब कहने लगे हैं।

सामना हो तो दोस्त भी, बेवजह मुस्कूराने लग जाते हैं
सवाल तो किए हि नहीं हमने, वो जवाब कहने लगे हैं।

अब तक हिचकिचाहट पर ही, कायम रहें हैं हम तुम
पर सब तो अपने रिश्ते पर, साफ़ साफ़ कहने लगे हैं।
~ श्रद्धा

Wednesday 5 April 2017

ख़ामोशी से ताल्लूक नहीं मजबूरी जाहिर होती हैं...

जो रिश्ता हैं दरमियाँ, उस पर नाज होना चाहिए
मोहब्बत इस लफ्ज का भी लिहाज होना चाहिए।
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ख़ामोशी से ताल्लूक नहीं मजबूरी जाहिर होती हैं
कभी मुझे तो कभी तुझे भी नाराज होना चाहिए।
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हामी नहीं भरी जाती, नजरअंदाजी से ही सब में
जहाँ हक हो कभी वहाँ पर, ऐतराज होना चाहिए।
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अंजाम दिल से नहीं जेहनी तौर से होता हैं अक्सर
किसी मोड़ पर ही सही नया आगाज होना चाहिए।
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नशे सा जो चढ़ जाएँ, तो मुकम्मल होता हैं इश्क
अगर हैं ये बीमारी, तो फिर इलाज होना चाहिए।
~ श्रद्धा

Thursday 30 March 2017

ये आपसी मुश्किलें हल नहीं होगी...

ये आपसी मुश्किलें हल नहीं होगी
जब तक खुद से हि पहल नहीं होगी।
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वक़्त कुर्बतों में और खलल डालता हैं
बात आज रहीं, तो कल नहीं होगी।
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ये ख़ामोशी रिश्तों को, बंजर न कर दे
गुरूर में लफ्जों कि फसल नहीं होगी।
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वक़्त रहते रिश्तों को वक़्त देना चाहिए
वर्ना तनहाई में कोई दखल नहीं होगी।
~श्रद्धा ( 28 January)

Wednesday 29 March 2017

गर्दिश में तारे होंगे।

जो अपने पीछे अपने ही खिलाफ कह रहे होंगे
अरे अपने थोड़ी हि होंगे, वो तो ऐरे-गैरे होंगे।
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तेरे हिस्से कि आधी चमक चल तुझे भी मुबारक
आखिर कब तक मेरे भी, गर्दिश मे तारे होंगे।
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तेरी मीठी जुबान का, जमाना कायल हैं तो रहें
मेरे अश्क घुले हैं इसीलिए, मेरे लफ्ज खारे होंगे।
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तराशनी चाहिए खूबसूरती, विरानी में भी हम को
हर वक़्त थोड़ी न मयस्सर, हम को नजारे होंगे।
~ श्रद्धा

Friday 24 March 2017

उभरता सितारा

उभरता सितारा कहें जाने पर इतनी अकड?? फलक से टूट गिरे तो नजर भी नहीं आओगे!
~ श्रद्धा

Thursday 16 March 2017

जान लेता है।

जब भी मिलता हैं, पहचान लेता हैं
दिल का हाल आज भी जान  लेता हैं।
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रस्म हैं तो पुँछ लेता हैं हालचाल मेरा
ठीक कह दूँ, तो हँसकर मान लेता हैं।
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झूकी हुई नजरें, सब बयां कर देती हैं
खुद ही अपने मन में जो ठान लेता हैं।
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वैसे तो 'किस्मत', ये लफ्ज ही काफी हैं
फिर ख़ामख़ाह खुद पे, इल्जाम लेता हैं।
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चलो, की दुनियादारी भी जरूरी ही हैं
ठीक ही हैं जो दिमाग से काम लेता हैं।
~ श्रद्धा

Saturday 4 March 2017

बर्बादी

खुदा ना करें मेरी बर्बादी आबादी में तब्दील हो... कंबख्त तेरा पचतावा तो फिर निकम्मा कर देगा!!
~ श्रद्धा

Friday 24 February 2017

Raham

कुछ तो रहम कर ए जिंदगी... तुझे जीतने का जुनून नहीं, बस जीने का शौक हैं।

Dil

रंग तो लिया चेहरा दुनियादारी के रंग से ... दिल का फिकापन छुपाऊ कैसे....!!

जरूर कोई जख्म गहरा लगता हैं।

मोहब्बत मिले, तो बुरा लगता हैं?
शायद ये कोई सरफिरा लगता हैं।
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ख्वाहिशें इस की अधूरी हो लेकिन
ज़िन्दगी का तजुर्बा, पूरा लगता हैं।
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अजीब हालात हैं, की दर्द तो मीठा
न जाने क्यों सुकून खारा लगता हैं।
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माथे पे शिकन न होंठो पे शिकवा!
जरूर कोई जख्म, गहरा लगता हैं।
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जीतने चला हैं, मौत को हँसकर?
फिर तो ज़िन्दगी से हारा लगता हैं।
~ श्रद्धा

Thursday 23 February 2017

हुनर है जीना भी जिंदा रहना भी।

जींस दिन पैसा कमाना आएगा
तुम्हारे भी पास जमाना आएगा।
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मीठे भी होंगे, लफ्ज और रिश्ते
पहले बेबसी पर, ताना आएगा।
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समझने होंगे, जिंदगी के दावपेच
तभी दुनिया से निभाना आएगा।
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अखरेगी कुछ दिन, झूठी दुनिया
आहिस्ता खुद को मनाना आएगा।
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हुनर हैं जीना भी, जिंदा रहना भी
यूँ ही ना आखिरी ठिकाना आएगा।
~ श्रद्धा

Tuesday 21 February 2017

तेरे सामने तुझसे ही बराबरी की है।

हर रस्म मोहब्बत की, कुछ यूँ पूरी की हैं
शिकायत में भी मैंने तेरी तरफदारी की हैं।
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तुझे क्या मालूम तुझसे वास्ता जोड़ के मैंने
इक सजा खुद ही अपने हक मे जारी की हैं।
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आखिरकार अपने भी नजरों मे सवाल लिए
आज तेरे सामने तुझसे ही, बराबरी की हैं।
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करगुजर कर सबकुछ, बस इतना समझा हैं
बड़ी मुश्किल जिंदगी की मैंने तैयारी की हैं।
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सीधा सा फसाना हैं, मेरी कहानी का ऐसा
बगावत खुद्दारी से, अश्को से यारी की हैं।
~ श्रद्धा

Saturday 18 February 2017

लत

आदत तो फिर भी बदली जा सकती हैं... लत लग गईं तो छुडानी मुश्किल हैं...!!!

Tuesday 14 February 2017

दूरी तो समझता है मजबूरी नही समझता।

सुलह कर लेना, वो जरूरी नहीं समझता
दूरी तो समझता हैं मजबूरी नहीं समझता।
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फासले हैं दोनों में, दो दिलों में थोड़ी ही है
बात तो समझता हैं पर पूरी नहीं समझता।
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ये नजर भी उसकी, नजरिया भी उसी का
जो उसकी कहानी को हमारी नहीं समझता।
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माना कि नाराजगी भी, जायज हैं रिश्तों में
तभी तो खामोशी को, मैं बुरी नहीं समझता।
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तकरार तो नहीं उससे पर मलाल हैं इतना
बात तो समझता हैं बस पूरी नहीं समझता।
~ श्रद्धा