Tuesday 27 December 2016

वक्त करोड़ को कौडी भी करता हैं

अब कि बार निशाने सादे जाएँगे
जख्म जितने थे सब कुरेदे जाएँगे।
.
उँगली उठाने की आदत हैं जींसे
इलजाम उसपर भी लादे जाएँगे।
.
वक्त करोड़ को कौडी भी करता हैं
बेचने वाले खुद ही खरीदे जाएँगे।
.
मासुमियत को डर समझने वाले
खाक में तेरे, सारे इरादे जाएँगे।
.
पिंजरा बेचकर, गुफा होगी लेकिन
हाथ से निकल सारे परिंदे जाएँगे।
~ अनामिका

Saturday 17 December 2016

बाद में पचताकर भी बहुत मोल पड़ता हैं!

कंबख्त इंसानी खून, जब भी उबल पड़ता हैं
जो ना कहना हो, बंदा वो भी बोल पडता हैं।
.
यूँ तो निकल ही जाती हैं, जुबाँ से ऐसी बाते
बाद में पचताकर भी, बहुत मोल पड़ता हैं।
.
मरम्मत भी रिश्तों कि जरूरी हो जाती हैं जैसे
दिलों के नाके पर भी, खासा टोल पड़ता हैं।
.
कहते हैं कि वक्त, हर मर्ज कि दवा हैं लेकिन
वक्त गुजरते गुजरते भी, बहुत मोल पड़ता हैं।
~अनामिका

Sunday 6 November 2016

जीत

हारने का तजुर्बा मुश्किल नहीं था... कंबख्त जितने की आदत बी महँगी पड गईं।
~ अनामिका

Wednesday 26 October 2016

वक्त

दिन बदलते रहते हैं... कबख्त वक्त नहीं बदलता...

Friday 7 October 2016

कल मेरा भी वक्त होगा।

जिंदगी का ये दौर आखिर कब तक सख्त होगा?
माना आज तेरा हैं, पर कल मेरा भी वक्त होगा।
.
किस्मत छापा मारती हैं, जरा चौकन्ना रहना चाहिए
न जाने किस का चैन-ओ-सुकून, कब जप्त होगा।
~ श्रद्धा ( अनामिका)

Saturday 1 October 2016

कामयाबी

कामयाबी कि सीढ़ी चढ़ रहे हो लेकिन ये ध्यान रहें, कोई असलियत का आईना दिखा दे तो चेहरा ना उतर जाएँ।
 ~ अनामिका

Friday 30 September 2016

गम जो सारे तुम्हें बताने लग जाएंगे

गम जो सारे तुम्हें बताने लग जाएंगे
फिर संभलने में हमे जमाने लग जाएंगे।
.
इक यही बात, याद रहती हैं जहन में
कभी तो उसको हम भूलाने लग जाएंगे।
.
जिंदगी भी अजीज हो जाएगी आहिस्ता
इस कदर भी खुद को सताने लग जाएंगे।
.
वजह न पुंछ ले कोई, मायूसी कि हम से
फिर बताने कैसे कैसे बहाने लग जाएंगे।
.
कभी जो देखे कोई रहम कि नजरों से तो
किस कदर खुश हैं ये जताने लग जाएंगे।
.
अब तो तनहाई में कोई दखल न दे, वर्ना
फिर तो संभलने में, जमाने लग जाएंगे।
~ श्रद्धा (अनामिका)

Thursday 22 September 2016

जिद हैं तो जिद को भी मकसद मिलें कोई...

जेहन में पल रहे जुनून को, हद मिले कोई
जिद हैं तो जिद को भी मकसद मिलें कोई।
.
ये एक हि बहाना दे कर, कितने ठहरे हुए हैं
कि चल तो देंगे, पहले जरा मदद मिले कोई।
.
तकलीफों का बोझ इसलिए भी नहीं उतरता
की खुद हि आगे आएँ, ऐसा कद मिले कोई।
.
अक्सर झूठ होतीं हैं वो तमन्ना जो कहती हैं
न तो महफिल और न हि हमदर्द मिलें कोई।
~ अनामिका

Friday 29 July 2016

जीना होगा कुछ तो दुनिया के मुताबिक।

उसकी तनहाई का इलाज नहीं मिलेगा
जिससे किसी का मिजाज नहीं मिलेगा ।
.
जीना होगा कुछ तो दुनिया के मुताबिक
अपने हिसाब का तो रिवाज नहीं मिलेगा।
.
ख्वाहिशों का नशा इक उम्र तक ठिक हैं
उम्र निकलने पर कामकाज नहीं मिलेगा।
.
सजानी चाहिए मजबूरियों से भी जिंदगी
जब तक मनचाहा सा साज नहीं मिलेगा।
.
आजमा लेना चाहिए जिंदगी को भी वर्ना
आखिरी वक्त सुनाने को राज नहीं मिलेगा।
~ श्रद्धा (अनामिका)

Wednesday 20 July 2016

कहने को तो पोझीशन और पाँवर देती हैं जिंदगी।

लगता हैं कि बड़े अच्छे ऑफर देती हैं जिंदगी
असल में तो समझौतों के सफर देती हैं जिंदगी।
.
जैसे जिस गले में होते थे कभी दोस्तों के हाथ
अब वहाँ बस टाय और काँलर देती हैं जिंदगी।
.
इक ख्वाहिश माँ से मिलने की पूरी नहीं हो पातीं
कहने को तो पोझीशन और पाँवर देती हैं जिंदगी।
.
यहाँ खुद से वाकिफ होने का नेटवर्क नहीं मिलता
यूँ तो हर जगह तरह तरह के टाँवर देती हैं जिंदगी।
.
वो गुल्लक वाले सिक्के तो फिर भी नहीं मिलेंगे
जबकि अब सीधे रुपयों से डाँलर देती हैं जिंदगी।
.
कभी मुनाफे में हो बेचैनी, कभी सुकून नुकसान में
बस कुछ ऐसे ही जीने के, ऑफर देती हैं जिंदगी।
~ श्रद्धा

Monday 20 June 2016

भूख मिटे न मिटे... जायका तो पता लगता हैं।

छोटा हो या बड़ा, हर मौका आजमाना चाहिए.... भूख मिटे न मिटे जायका तो पता लगता हैं...।
~ अनामिका

Friday 17 June 2016

वाह रे मेरी खुद्दारी! यार तू भी कमाल करती हैं



मेरी हि "सोच" मुझसे, ये अक्सर सवाल करती हैं
 खुद मुझसे जो कराती हैं, उसीपे मलाल करती हैं।
 .
 अपनी अना के वास्ते, दुखाया सारे अपनों को ही
 वाह रे मेरी खुद्दारी, यार तू भी कमाल करती हैं।
 .
 उसूलों पे मुझे अपने, वैसे फक्र भी हैं पर फिर भी
 न जाने कैसी शर्मिंदगी से, जीना मुहाल करती हैं।
 .
 सोच भी मेरी अक्सर, सोच में पड़ जाती हैं सोचके
 कि कभी कभी ये खुद्दारी, सच में बवाल करती हैं।
 ~ श्रद्धा
 .
 अना- खुद्दारी
 मुहाल- मुश्किल

Wednesday 15 June 2016

मुश्किलों में डालके जो चौंका देती हैं जिंदगी



मुश्किलों में डालके जो चौंका देती हैं जिंदगी
 यूँ भी तो कभी कभी, मौका देती हैं जिंदगी।
 .
 समझने वाले को, बस समझ आना चाहिए
 हर वक्त थोड़ी हि न धोखा देती हैं जिंदगी।
 .
 समझौतों कि धूप में, रखो तो गुरूर अपना
 पलकों के अश्को को सूखा देती हैं जिंदगी।
 .
 ख्वाहिश और सब्र का तालमेल आना चाहिए
 तमाम मजबूरीयों को झुका देती हैं जिंदगी।
 ~ श्रद्धा

Wednesday 1 June 2016

दुनियादारी निभानी हैं तो काम से काम रखा जाएँ

दिल में रंजिश होकर भी होंठो पर सलाम रखा जाएँ
 दुनियादारी निभानी हैं, तो काम से काम रखा जाएँ।
 .
 इतना आसान नहीं हैं इस दुनिया से कट कर रहना
 अनचाहे भी खामोशी को, जरा सरेआम रखा जाएँ।
 .
 यूँ तो सवाल करती रहती है आँखे अपने अश्को से
 छोड़ो! अपनी ही मजबूरी पे क्या इलजाम रखा जाएँ।
 .
 गहरे हो सकते हैं ताल्लूकात वैसे आज के भी दौर मैं
 अपने रिश्तों पर भी अगर, कोई इनाम रखा जाएँ।
 .
 जिंदगी भी इक नशा हैं अगर गौर से देखा जाए तो
 दिल में फकत हसरतों का, कोई जाम रखा जाएँ।
 ~ अनामिका

Monday 30 May 2016

बेवफाई को भी तेरी इक राज रखा हैं मैंने

बेवफाई को भी तेरी, इक राज रखा हैं मैंने
बेपनाह मोहब्बत का ये अंदाज रखा हैं मैंने
.
गनीमत हैं ये कलम भी तुझसे बदतमीजी करें
मेरी शायरी में भीे तेरा, लिहाज रखा हैं मैनें।
.
छलकती हैं आज भी कभी तनहाई मेेें आँखे
तो लगता हैं की तुझे ही, नाराज रखा हैं मैंने।
.
तुझे खोकर जैसे, खौफ-ए-खुदा भी न रहा
तेरे बाद तो यही अपना मिजाज रखा हैं मैंने।
.
'मोहब्बत' के मायने भी तुझसे ले के तुझी पे थे
अब तो मेरे पास सिर्फ ये अल्फाज रखा हैं मैंने।
~ अनामिका

Tuesday 17 May 2016

जद्दोजहद मेरे दिल की कुछ यूँ हल हो जाएँ

जद्दोजहद मेरे दिल की, कुछ यूँ हल हो जाएँ
जो बसा हैं इस दिल मे उसी से पहल हो जाएँ।
.
जो दे अगर दस्तक मेरे दिल की दहलीज पे वो
इस फकीर की ये कुटीया भी, महल हो जाएँ।
.
तसव्वूर में भी हो जाएँ, जो दिदार अगर उसका
ये तमाम नजारे दुनिया के, फिर ओझल हो जाएँ।
.
इस खौफ और कश्मकश में गुजर रहीं हैं जिंदगी
ये पल ही ना कहीं, गुजरा हुआ कल हो जाएँ।
.
मकसद सा लगने लगा हैं जीने का वो मुझ को
जो उसे पा लू, तो ये जिंदगी भी सफल हो जाएँ।
~ अनामिका

Sunday 8 May 2016

नजरों में मेरी जलील नहीं हुआ मैं।

माना इस दुनिया की हिसाब से काबिल नहीं हुआ मैं
ये भी सच हैं की नजरों में मेरी, जलील नहीं हुआ मैं।
.
मजबूरी के नक्षेकदम पे, चलने से खुद्दारी बेहतर थी
तनहाई को अपना लिया, पर बुजदिल नहीं हुआ मैं
.
मुकद्दर से हमेशा हारकर भी, सब्र मेरा कायम हैं
दिल की तमाम हसरतों का,  कातील नहीं हुआ मैं
.
मोहब्बत भी मियाँ अपनी, कुछ उसूलों वाली ही रहीं
जहाँ बात मेरी अना पर आईं, तब्दील नहीं हुआ मैं।
~ अनामिका

Saturday 7 May 2016

जो मेरा हुआ ही नहीं उसे भूल जाएँ तोबेहतर हैं...

दिल पर संभाले हुए दाग अब धूल जाएँ तो बेहतर हैं
जो मेरा हुआ हि नहीं, उसे भूल जाएँ तो बेहतर हैं।
.
इससे पहले की बँध जाएँ, इक नई डोर नए धागे से
कुछ पुरानी यादें रफू करके सिल जाए तो बेहतर हैं।
.
आखिर कैद कौन कर पाया हैं, उस बीते हुए कल को
ये आने वाला पल ही, जरा टल जाएँ तो बेहतर हैं
.
मजबूरी अपनी जगह, और दुनियादारी अपनी जगह
जिंदगी जीने को कुछ हसरते, जल जाएँ तो बेहतर हैं।
~ अनामिका

Friday 6 May 2016

समझौते

सिर्फ समझौते होने लगे हैें, नाराजगी नहीं रहती
लगता हैं कि रिश्तों में अब वो ताजगी नहीं रहती।
~ अनामिका

वो गिर जाते हैं मेरी नजरों से, जिनकी आँखो में चुभता हूँ मैं...

ये लेनदेन का हिसाब भी, कुछ इस तरह रखता हूँ मैं
वो गिर जाते हैं मेरी नजरों से, जिनकी आँखो में चुभता हूँ मैं।
~ अनामिका 

Wednesday 6 April 2016

कौन हैं जो बचाने गहराई में आया हैं....

कौन हैं जो बचाने, गहराई में आया हैं
क्या जाने कि मजा तो तबाही में आया हैं।
.
मिलेगी यूँ मोहब्बत, तो बेकार हो जाएँगे
ये शायरी का फन, तो तनहाई में आया हैं।
.
सैलाब काबू करने का तरीका भी अनोखा हैं
कोई धूप का मौसम, जैसे जुलाई में आया हैं।
.
आँखो में सवाल लिए फिरता हैं खामोशी के
बेखबर हैं, की जवाब तो रुबाई में आया हैं।
~ अनामिका
.
सैलाब- flood
रुबाई- a verse form of Persian origin consisting of four-line stanzas

Sunday 20 March 2016

न तो घुट-घुट के, न तो डर के पर्दो में जी जाएँ...

न तो घुट-घुट के, न डर के पर्दो मे जी जाएँ
जिंदगी वो हैं, जो अपनी शर्तो पे जी जाएँ।
.
विरासत के दौलतमंद क्या जाने मेहनत का नशा
जिंदगी वो नहीं, जो अपने पुरखो पे जी जाएँ।
~ अनामिका

Friday 18 March 2016

थोड़ी formality भी जरूरी हैं

कहने को सब कहते हैं, कि Reality भी जरूरी हैं।
पर रिश्तों को जो जोड़ रखे, वो Quality भी जरूरी हैं
मेरी झूठी मुस्कान से मेरी शख्सियत झूठी न समझो
ये आज कल के रिश्ते हैं, थोड़ी formality भी जरूरी हैं।
~ अनामिका

Thursday 17 March 2016

ये जो मेरी मोहब्बत में वो मगरूर होता हैं....

ये जो मेरी मोहब्बत में वो मगरूर होता हैं
इतराता वो है, और खुद पे गुरूर होता हैं।
.
लाजिम हैं उसका भी, अमह मेरी चाहत में
बेशकिमती मेरा भी इश्क-ए-फितूर होता हैं।
.
बेरूखी भी उसकी, सिर आँखो पर रहती हैं
इस गुनाह में थोड़ी न किसी का कुसूर होता हैं
.
झुक कर ही दिलों कि बुलंदी हासिल होती हैं
सच्ची मोहब्बतों का तो, यही दस्तूर होता हैं।
~ अनामिका

Sunday 6 March 2016

चुनावी दौर हैं मियाँ ये जुमला दे देंगे

कहते हैं कि सबको, हम बंगला दे देंगे
चुनावी दौर हैं मियाँ, ये जुमला दे देंगे।
.
जमीन लौटाने के जो वादे किया करते थे
कल खेतीबाड़ी करने को, ये गमला दे देंगे।
.
चारों और शांति के जो संदेश लिए घूमते हैं
कल राजनीति में अगर हारे तो हमला दे देंगे।
.
फरीश्ते वो हैं जो सरहद पर शहीद होते हैं
ये झूठे मसीहा महज, झूठा हौसला दे देंगे।
~ अनामिका

Friday 4 March 2016

खुद्दारी

झूठी बुलंदी से खुद को खिलाफ किया हैं मैंने
आज अपनी नियत को, साफ किया हैं मैंने
खुद्दारी चखने के लिए लाख मुश्किलें उठाई हैं
तब कहीं जाकर खुद को माफ किया हैं मैंने।
~ अनामिका

Wednesday 17 February 2016

नजरें सवाल करती हैं तो मूकर जाता हैं कोई।

यूँ तो अपनी नजरों में, उतर जाता हैं कोई
नजरें सवाल करती हैं तो मूकर जाता हैं कोई।
.
गर्दीशों में रहता हैं, विरानियों से राबता
शब-ए-तनहाई में लेकिन, छूकर जाता हैं कोई
.
पलके बिछी रहती हैं मुसलसल उन राहो पर
नजर चूराकर आहीस्ता गुजर जाता हैं कोई।
.
फलसफा भी अजीब हैं रिवायत-ए-इश्क का
मोहब्बतों में समेट के, बिखर जाता हैं कोई।
~ अनामिका

Monday 15 February 2016

किसी से भी इश्क अब बेशुमार नहीं होता।

महज बेचैनी सी रहती हैं, खुमार नहीं होता
किसी से भीे इश्क अब बेशुमार नहीं होता।
.
आती जाती रहती हैं, कई सर्द हवाएं यूँ तो
गुजरे मौसम का लेकिन अब इंतजार नहीं होता।
.
सफर करते करते अक्सर, मिठे झरने मिलते हैं
पर हसरत होते हुए भी दिल, तलबगार नहीं होता।
.
कल के पत्थर कि चोट आज हीरे से तौबा कराती हैं
कोन कहता हैं, खुद पे खुद का इख्तियार नहीं होता।
~ अनामिका

Sunday 14 February 2016

काश की ये मोहब्बत मुझे इस कदर न होती...

खुश रहने की खुशफैमी, यूँ बेअसर न होती
काश की ये मोहब्बत मुझे इस कदर न होती।
.
जिंदगी से बेखबर, मैं इसी सोच में रहता हूँ
काश मुझे यूँ पल पल, तेरी खबर न होती।)
.
साँसें रूख्सत करने को बेताब हैं ये जान मेरी
मजबूर हूँ, अगर मुझ को तेरी फिकर न होती।
.
कहानी समझ उन किस्सो को मै भी भूल जाता
जो मुझे भी उन एहसासों कि, कदर न होती।
~ अनामिका

Saturday 13 February 2016

वो बाप अपने आश्को से यूँ वजू कर लेता हैं।

बेटी के फटे लिबास को, वो रफू कर लेता हैं
मचलती कुछ हवाओं को, यूँ काबू कर लेता हैं
.
आँखे छलक उठती हैं जब हाथ फैलाए उसकी
वो बाप अपने अश्को से, यूँ वजू कर लेता हैं
~ अनामिका

Tuesday 9 February 2016

कहते हो कि सच हमने बताया कब?

कहते हो, कि सच हमने बताया कब?
तुम कहो, कि झूठ हमने छुपाया कब?
.
नजर में तो तुम्हारे, हर बात आती हैं
नजर को नजर से तुमने मिलाया कब?
.
खामोशी को मेरे, जरा छेड़ तो देते
बताओ, कि हमें तुमने सताया कब?
.
दिल की बातों को बखूबी बताया तुमने
बेसब्र अपनी चाहत को जताया कब?
.
फर्ज जिम्मेदारीयोंका, निभा तो दिया
पर मोहब्बत कि रस्मों को निभाया कब?
~ अनामिका

Saturday 6 February 2016

दो-चार बातों कि कीमत नहीं होती

महज दो-चार बातों कि कीमत नहीं होती
बातें ही तो करनी हैं, पर जूर्रत नहीं होती
.
वाकीफ हूँ गुफ्तगू के आगाज से अंजाम तक
इश्क-विश्क में पड़ने की अब हिम्मत नहीं होती।
~ अनामिका

मेरी कलम हैं वो

मेरे दिल की आवाज बिन कहें सुन लेती हैं
मेरे सपनों को मुझी से, पहले बून लेती हैं
.
मैं गलतफहमी, तो मेरा भ्रम हैं वो
मैं सच्चाई, तो मेरा धर्म हैं वो
मैं जो हूँ हया, तो मेरी शर्म हैं वो
अगर मैं नेकी, तो मेरा करम हैं वो।
.
मैं जिंदगी, तो मेरा जन्म हैं वो
मैं थंड रूहानी, तो मौसम हैं वो
मैं हूँ जख्म, तो मल्हम हैं वो
मैं दरियादिल, तो मेरा रहम हैं वो।
.
आखिर हैं कौन? क्यी मेरा वहम हैं वो?
वहम नहीं, मेरी "कलम" हैं वो
.
मैं जान, तो मेरी जानम हैं वो
और कोई नहीं, मेरी "कलम" हैं वो।
~ अनामिका

Friday 5 February 2016

खुशी खुशी तुझको आज विदा किया हैं मैंने

खुशी खुशी तुझको आज विदा किया हैं मैंने
फर्ज सच्ची मोहब्बत का अता किया हैं मैंने।
.
मजबूरीयाँ भी तेरी, सर-आँखो पर रखी हैं
जश्न मनाकर खुद को, यूँ फना किया हैं मैंने।
.
तेरा वजूद भी मीट गया, मेरी रूह से देख ले
खुद को खुद से इस तरह, जुदा किया हैं मैंने।
.
शराफत से जीता हूँ अब तेरे वादों के खातिर
देख किस तरह, खुद को तबाह किया हैं मैंने।
~ अनामिका

Tuesday 2 February 2016

मोहब्बत

अजीब रिवायत लगती हैं मोहब्बत भी... जब तक अंजान थे, बातें होती थी... जान-पहचान क्या हुई, महज फरीयादें होने लगी हैं....
~ अनामिका

दुनियादारी

अजीब रिवायत लगती हैं दुनियादारी भी... जब तक अंजान थे, बातें होती थी... जान-पहचान क्या हुई, महज फरीयादें होने लगी हैं....
~ अनामिका

Saturday 30 January 2016

अपने भी हिस्से सुकून के पल दो पल मिलें

परेशानीयोंका मौला मेरे कुछ तो हल मिले
अपने भी हिस्से सुकून के पल दो पल मिले।
.
रंज ले के घूमते हैं जो झूठे अश्को में हमदर्द
दुआ हैं कि आँखो को उनके गंगाजल मिलें।
.
सर्द हवाएँ इन दिनों गर्म मिजाज में रहती हैं
नेकी करों के फकिर के, बदन पे कंबल मिलें।
.
बेरुखी हि मोड़ दे तेरा रूख मेरी और अब
क्या पता, के हम कभी न फिर कल मिले।
~ अनामिका

Facebook ka Password

रातों को भी जागने वाला इक Bird बना रखा हैं
अच्छे खासे इंसान को, क्यो चमकादड बना रखा हैं
आखिर निकलोगे तुम कैसे मेरे दिल-ओ-दिमाग से सनम
तुम्हे मैंने Facebook का Password बना रखा हैं
~ अनामिका

Friday 29 January 2016

ख्वाहिशों कि जमीन को जो विरान किया हैं तूने...

ख्वाहिशों कि जमीन को जो विरान किया हैं तूने
ए जिंदगी मुझे बार बार, यूँ हैरान किया हैं तूने।
.
किसी को भी मुझसे अब शिकायतें नहीं रहती
देख किस कदर, मुझे परेशान किया हैं तूने।
.
अंदाजा नहीं लगता अब कल को लेकर खुद का
ये किस तरह का मुझ को तूफान किया हैं तूने
.
दिल पे नहीं लगती, अब हालातों कि मार
बढ़ती उम्र के साथ यूँ नादान किया हैं तूने।
~ अनामिका

Tuesday 19 January 2016

माना बात दिल की हमें बताना नहीं आता....

माना बात दिल की, हमे बताना नहीं आता
झूठ तो ये भी हैं कि इश्क जताना नहीं आता।
.
लूटाने को बेसब्र हैं जो दिल में छिपी मोहब्बत
मसला बस ये हैं कि उसे कमाना नहीं आता।
.
पाकीजा जज्बातों पे वोे हार ही जाएगा आसानी से
तरह तरह की कोशिशों से उसे फँसाना नहीं आता
.
हैरत हैं कि जिस को पाया ही नहीं अब तक
फिर सपने में भी क्यो उसे गँवाना नहीं आता।
~ अनामिका

Wednesday 13 January 2016

सोच अपनी अपनी....

A CONVERSATION BETWEEN YOUNGER BROTHER & ELDER SISTER
.
SISTER :- (भाई के पास आकर)  ए छोटू... तेरा mobile दिखा तो जरा....??
.
BROTHER:- (बहन कि तरफ बिना देखे mobile पे chatting करते हुए) क्यो???
.
SISTER:-  ( भाई के कंधे हिलाते हुए) अरे दिखा ना यार दो मिनट....
.
BROTHER:-  (जरासा irritate होकर) क्यो चाहिए तुझे मेरा mobile?? तेरे mobile को क्या हुआ?? >_<
.
SISTER:-  (भाई को चिडाते हुए) कल चुपके से तेरे mobile में तेरी girlfriend की फोटो देखी थी... वो mummy को दिखानी हैं। :D
.
BROTHER:- ( बहन की तरफ गुस्से से देखते हुए) बकवास बंद कर अपनी  >_<
.
SISTER:- हाहाहाहाहाहा.... अरे यार... मजाक कर रही थी... तेरा Birthday था ना कल... शाम को तो तूने हमारे साथ celebrate किया... लेकिन रात को जो दोस्तों के साथ celebrate किया उसकी photos देखनी हैं।
.
BROTHER:-  (mobile से एक नजर हटाकर बहन कि तरफ देखते हुए) तुझे क्यो देखनी हैं हम friends की photos?? -_- जा अपना काम कर!!!
.
SISTER:- (भाई के पास बैठते हुए) दिखा ना यार... क्यो भाव खा रहा हैं??
.
BROTHER:- ( 5 seconds बहन की तरफ देखकर) ठिक हैं ले... लेकिन यही देख... और जल्दी वापस कर!!!
.
SISTER:- ( Mobile कि gallery खोलकर पहला फोटो देखते हुए) हममममममम्...
.
BROTHER:-  क्या हमममममम्??
.
SISTER:- देख रही हूँ... हम लड़कियों के तो गिने चुने friends रहते हैं... तुम लड़को की इतनी पलटन कहाँ से जमा हो जाती हैं?? :O
.
BROTHER:- (उसे अनदेखा करते हुए)
.
SISTER:- (धीरे धीरे photos देखते हुए) तेरी तो जम के पिटाई हुई लगता हैं :D मेरी भी कसर निकाल ली इन लोगों ने ;)
.
BROTHER:- ( बहन कि हाथों से mobile लेते हुए) चल अब देख के हो गया हो तो वापस कर!!
.
SISTER:- ( फिर से mobile छिनते हुए) रूक ना यार... ( 3 seconds बाद)
Waoooooo.... cake तो superb था!! मैंने जो लाया था, उससे भी ज्यादा!! :/
.
BROTHER:- ( हल्का सा गुस्सा करते हुए) अरे मेरी माँ... cake जैसा cake था!! तू जल्दी देख और वापस कर!! >_<
.
SISTER:- अरे ये क्या??? सारे Birthday photos खत्म?? इसमें तो वो photos हैं ही नहीं??
.
BROTHER:- ( माथे पे शिकन के साथ) वो photos ??? कौन से वो photos?? :o
.
SISTER:- अरे वहीं photos... जिसमें cake cut करके सब एक दुसरे के मुँह पे लगाते हैं...!!! वहीं तो main photos होते हैं ना हर Birthday Party के?? वो तो इसमें हैं ही नहीं!! Friend के mobile में हैं क्या??
.
BROTHER:- (बहन कि तरफ देखते हुए) नहीं... वो Photos नहीं हैं क्योकी वैसा कुछ हुआ ही नहीं!!
.
SISTER:- नही हुआ?? :O अरे ऐसा कैसे हो सकता हैं? तेरे friends ने तेरे मुँह पे cake नहीं लगाया?? :O
.
BROTHER:- (सिर्फ एक शब्द में जवाब) नहीं!!!
.
SISTER:- पर ऐसा हो कैसे सकता हैं?? तुम लोग first year के college going students??? फिर भी ऐसा नहीं हुआ?? ऐसा क्यो????.
.
BROTHER:- ऐसा इसलिए नहीं हुआ क्योकी ऐसा करने के लिए मैंने मना कर दिया।
.
SISTER:- क्यो मना कर दिया? ये तो आजकल का fashion हैं ना?? फिर भी??
.
BROTHER:- ( हल्का सा मुस्कूराकर) FASHION?? आखिर FASHION कहते किसे हैं?? वो... जो चार लोगों में अच्छा लगे? वो... जिससे हमें और साथ साथ दुसरों को भी खुशी हो??  Right??? और कौन बनाता हैं ये fashion?? हम?? हमारे जैसा youth?? वो youth जो देश कि गरीबी के लिए, या एक वक्त की रोटी को तरसते उन गरीब बच्चों के लिए हमदर्दी दिखाता हैं... वो?? वो बनाते हैं ये Fashion??
इसका तो एक ही मतलब होता हैं!! या तो हम  झूठे हैं?? या फिर... ये हमदर्दी भी हमारे लिए सिर्फ एक Fashion हैं!!! आज भी हमारे देश में कई लोग ऐसे हैं जिनका Daily Income 10-20 rs. से ज्यादा नहीं...!! और ऐसी situation मे हम 400-500 rs. का cake जो उन लोगों ने कभी चखा भी नहीं होगा उसको महज Fashion के नाम पे या चंद पलो की झूठी खुशी के लिए waste कर देते है?? ये कैसा खोखला fashion हैं? 500 कि जगा 1000 का भी cake लाया तो problem नहीं हैं, लेकिन खाने की चीज को महज fashion के नाम पे waste कर देना वो भी उस देश में जहाँ अन्न को पूर्णब्रम्ह कहाँ जाता हैं ये बात समझ नहीं आती। खुशियाँ मनाने के अपने अपने तरीके हैं लेकिन, अगर हम देश के जागरूक नागरिक होने का दावा करते हैं तो उसी देश के लिए थोड़ा sensible होना भी अपनी responsibility हैं।
.
SISTER:- बात तो तुने बिलकुल सही कहीं... लेकिन तेरी ये बात सुनकर तेरे friends मे सेें कोई तुझपर हँसा??
.
BROTHER:- हममममम्.... कुछ पैसे वाले थे, जो ऐसा सुनकर हँस पड़े... लेकिन कुछ दिमाग वाले थे, जिनके चेहरों पर बदलाव के हावभाव दिखाई दिए।
~ अनामिका (13 January 2016)

Friday 8 January 2016

सवेरा भी दोपहर में जिनका कंबल में होता हैं

सवेरा भी दोपहर में जिनका कंबल में होता हैं
वो शेरों को बताते हैं कि क्या जंगल में होता हैं।
.
नियत और सीरत से ही निर्दोष होना काफी नहीं
कई बार तो दोष यहाँ पर मंगल में होता हैं।
.
बाँसुरी की धून वाला जमाना कब का गुजर गया
आज कल का भजन तो DJ संदल में होता हैं।
.
आपसी मतभेद टकरानेके नतीजे कौन सोचता हैं
फिर कहते हैं की भारी नुकसान तो दंगल में होता हैं।
~ अनामिका

Wednesday 6 January 2016

जिंदगी जीते तो सब हैं... लेकिन बहुत कम ऐसे हैं जो सपनों को जी कर जिदगी को जीत ते हैं।

एक जद्दोजहद... जो जहन के किसी ना किसी कोने मे हमेशा दबी रहती हैं।
यार....जो करना हैं वो नहीं हो रहा हैं तो चुभन हो रही है।। लेकिन जो नहीं करना हैं वो करना शुरू कर दिया तो घुटन होने लगेगी।।
दोनों मामलों में तकलीफ तो होनी ही हैं।
फिर चुभन या घुटन??
.
Television... जब मन किया तब देख लिया... जब मन किया बंद कर दिया!! नजारे... मन हुआ तो देखने चले गए... मन नहीं हुआ तो नहीं देखे !! लेकिन सपने?? सपनों का क्या? मन हो तो देखे जाते हैं... और ना हो तो दिख जाते हैं!! कभी भी... कहीं भी... खुली आँखो से... या बंद आँखो से!!
जिंदगी क्या चाहती हैं वो पता नहीं... लेकिन जिस्म में बसी ये जान क्या चाहती हैं वो पता होता हैं... सपने अधूरे हि सही पर पुरे होने की उम्मीद हमेशा रहती हैं, लेकिन सपने फाड दिए तो कभी रफू भी नहीं हो सकते...! जिंदगी जीते तो सब हैं... लेकिन बहुत कम ऐसे हैं जो सपनों को जी कर जिदगी को जीत ते हैं।
~ अनामिका

Monday 4 January 2016

माँ

माना थक कर आँखे उसकी बंद होती हैं
पर माँ सोती भी हैं, तो फिक्रमंद होती हैं।
~ अनामिका

एक सोच

कौन कहता हैं कि कीमती चीज सिर्फ उसकी कीमत से तय होती हैं?
जहाँ सोने का ताज सर की शान बढ़ाता हैं... वहीं चमडे की चप्पल काँटो से बचाती हैं।
~ अनामिका