Friday 25 August 2017

Mai shayar hu! Apne fun ko chhutne nahi deta!

ग़मों का अपने ख़ज़ाना, किसी को लूटने नहीं देता
मियाँ मैं शायर हूँ! अपने फ़न को छूटने  नहीं देता।
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ख़ामोशी मजबूरी हो, तो क़लम से इश्क़  लाज़मी हैं
यहीं तिकड़म हैं की दम को अपने, घूटने नहीं देता।
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अजीब 'ख़ौफ़' हैं जो रात रात भर, जगाए रख़ता हैं
पर शुक़्र हैं! जो जुड़कर मुझसे, मुझे टूटने नहीं देता।
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मेरे तजुर्बे बताते हैं की ख़ास नज़र हैं मुझपर उसकी
यहीं वजह हैं की ख़ालिक़ से यक़ीन उठने नहीं देता।
~ श्रद्धा