Wednesday 28 June 2017

हमें दिल पर भी तरस, खाना होगा।

जहाँ मन करें, वहाँ जाना होगा
हमें हि ख़ुद को आजमाना होगा।
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ज्यादा से ज्यादा होकर क्या होगा
होगा तो ख़िलाफ, ज़माना होगा।
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जो अपने होंगे वो सराहेंगे हम को
बाकीयोंका एक-आध ताना होगा।
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ज़ेहन में जगह सिर्फ जमाने के लिए
हमें दिल पर भी तरस, खाना होगा।
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इक पचतावे से दिल बैठा जाता हैं?
फिर अभी तो जोख़िम उठाना होगा।
~ श्रद्धा