ऐसा नहीं की आरजुएँ किसी की कत्ल नहीं होती
बात ये हैं की इतनी सच्ची कोई शक्ल नहीं होती।
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यूँ तो चेहरों से छलकती हैं तमाम खुशियाँ लोगों के
पर चैन और सुकून की किसी से, नकल नहीं होती।
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हुक्म हो मौसम का, तो झुकना पड़ता हैं मजबूरी में
जानबूझकर कभी बेवफा, कोई फसल नहीं होती।
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वाह वाह तो मिल जाती हैं दिल से निकले शेरों पे
पर कहते हैं, की बिना बहर के गजल नहीं होती।
~ अनामिका
बात ये हैं की इतनी सच्ची कोई शक्ल नहीं होती।
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यूँ तो चेहरों से छलकती हैं तमाम खुशियाँ लोगों के
पर चैन और सुकून की किसी से, नकल नहीं होती।
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हुक्म हो मौसम का, तो झुकना पड़ता हैं मजबूरी में
जानबूझकर कभी बेवफा, कोई फसल नहीं होती।
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वाह वाह तो मिल जाती हैं दिल से निकले शेरों पे
पर कहते हैं, की बिना बहर के गजल नहीं होती।
~ अनामिका