Wednesday 6 January 2016

जिंदगी जीते तो सब हैं... लेकिन बहुत कम ऐसे हैं जो सपनों को जी कर जिदगी को जीत ते हैं।

एक जद्दोजहद... जो जहन के किसी ना किसी कोने मे हमेशा दबी रहती हैं।
यार....जो करना हैं वो नहीं हो रहा हैं तो चुभन हो रही है।। लेकिन जो नहीं करना हैं वो करना शुरू कर दिया तो घुटन होने लगेगी।।
दोनों मामलों में तकलीफ तो होनी ही हैं।
फिर चुभन या घुटन??
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Television... जब मन किया तब देख लिया... जब मन किया बंद कर दिया!! नजारे... मन हुआ तो देखने चले गए... मन नहीं हुआ तो नहीं देखे !! लेकिन सपने?? सपनों का क्या? मन हो तो देखे जाते हैं... और ना हो तो दिख जाते हैं!! कभी भी... कहीं भी... खुली आँखो से... या बंद आँखो से!!
जिंदगी क्या चाहती हैं वो पता नहीं... लेकिन जिस्म में बसी ये जान क्या चाहती हैं वो पता होता हैं... सपने अधूरे हि सही पर पुरे होने की उम्मीद हमेशा रहती हैं, लेकिन सपने फाड दिए तो कभी रफू भी नहीं हो सकते...! जिंदगी जीते तो सब हैं... लेकिन बहुत कम ऐसे हैं जो सपनों को जी कर जिदगी को जीत ते हैं।
~ अनामिका