Thursday 15 October 2015

बताना मुझे नहीं आया तो जताना उसे नहीं आया....

अधूरी मोहब्बत निभाना आखिर किसे नहीं आया?
बताना मुझे नहीं आया, तो जताना उसे नहीं आया।
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यूँ तो बिछाए हर तरफ जाल ही जाल थे मोहब्बत के
फसाना मुझे नहीं आया तो छुडाना उसे नहीं आया।
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चुप्पी में भी जज्बातों की शिकायत बखूबी हुई  लेकिन
सताना मुझे नहीं आया तो मनाना उसे नहीं आया।
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अपनी अपनी जिंदगी के बस अपने अपने लम्हे
हँसाना मुझे नहीं आया तो रुलाना उसे नहीं आया।
~ अनामिका