Thursday 8 October 2015

मेरे कृष्ण मुरारी....

ओ बांके बिहारी
ओ मेरे कृष्ण मुरारी
मेरी सुनलो अर्ज जरासी
मैं हूँ तोहरी दासी
कान्हा मैं हूँ तोहरी दासी।।
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तू ही जाने मन की पीड़ा जाने सुःख दुःख सारा
पढ लो मन की बात मनोहर तुझपे जीवन हारा
ना मथुरा ना गोवर्धन
ना भाए ब्रिज ना काशी
मन में आस तेरे चरणों की
मैं हूँ तोहरी दासी
कान्हा मैं हूँ तोहरी दासी।।
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पनघट पे संसार के गोविंद गगरियाँ मोरी भर दो
भुलि जग की मोह माया, भवबंधन से मुक्त कर दो
साज श्रृंगार ये दर्पण फिका
फिकी हैं धनराशि
त्रिष्णा मन की एक ही जाने
किशन मिलन को प्यासी
कान्हा मैं हूँ तोहरी दासी।।
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ओ बांके बिहारी
ओ मेरे क्रृष्ण मुरारी
मेरी सुनलो अर्ज जरासी
मैं हूँ तोहरी दासी
कान्हा मैं हूँ तोहरी दासी।।
~ अनामिका