Tuesday 19 September 2017

पहली ही नज़र में मग़रूर दिख़ रहा हैं

आज भी दोपहरी में, डूबा लगता हैं
ये दिल भी मुझको, अजूबा लगता हैं।

पहली ही नज़र में मग़रूर दिख़ रहा हैं
उसे तो ज़िन्दगी का, तजुर्बा लगता हैं।

इस दौर में ख़ामोशी भी वहीं पनपती हैं
सब को जो अपना, हमज़ुबा लगता हैं।

ज्यादा बातें सुनकर, ज़हन ये सोचता हैं
वो समझदार होगा, जो बेज़ुबा लगता हैं।
~ Shraddha