Monday 4 September 2017

Fankar apni khalwat mr khud ko tabinda kar lete hai!

अच्छी ख़ासी ज़िन्दगी में, ये इक काम गंदा कर लेते हैं
फ़क़त शायरी के वास्ते, रोज़ ग़म को ज़िन्दा कर लेते हैं।
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मोहब्बत में ख़ामोशी और इशारे भी जवाब देने लगे तो
बड़ी ही मायूसी से हम, ज़ुबान को शर्मिन्दा कर  लेते हैं।
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ज़रूरत कहाँ हैं इन्हें, इस फ़र्जी दुनिया के चकाचौंध की
फ़नकार अपनी ख़लवत में, ख़ुद को ताबिंदा कर लेते हैं।
~ Shraddha