Monday 14 September 2015

जो बेवफाई में तू मेरा हैं तो मुझे हर्ज न था...

भले ही कीस्सा बेवफाई का कहीं दर्ज न था
जो बेवफाई में तू मेरा हैं, तो मुझे हर्ज न था।
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तूने समझा की मुझे समझाना तेरा फर्ज न था
तो मैं अंजान ही बनकर रहता, मुझे हर्ज न था।
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मेरी जान के सिवा, और तूझपर कोई कर्ज न था
तू कीश्तो में साँसे लौटा ता, मुझे हर्ज न था।
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एक तेरी ही लत थी मुझे, और कोई मर्ज न था
चल तू फरेबी ही सही, पर मुझे हर्ज न था।
~ अनामिका