इस blog के माध्यम से मेरी लिखी हुई कुछ हिंदी और मराठी गजलें एवं कविताएँ "अनामिका" इस तखल्लूस के साथ दुनिया के सामने लाने की एक कोशिश... - Shraddha R. Chandangir, Nagpur
Friday 18 September 2015
मैं बारिश के मजे लूट रहा था....
मैं बारिश के मजे लूट रहा था तब उसे घर लौटते देखा
जिसने छत दिलाया उस बाप की ही फटी छत्री थी।
~ अनामिका