इस blog के माध्यम से मेरी लिखी हुई कुछ हिंदी और मराठी गजलें एवं कविताएँ "अनामिका" इस तखल्लूस के साथ दुनिया के सामने लाने की एक कोशिश... - Shraddha R. Chandangir, Nagpur
Wednesday 9 September 2015
नादानीयों के आड़े....
नादानीयों के आड़े, इक शीशे का महल तोड़ा था कभी... आज एक पत्थर क्या मेरी दहलीज पे आया, बचपना छूट रहा हैं मेरा....
~अनामिका