Wednesday 9 September 2015

नादानीयों के आड़े....

नादानीयों के आड़े, इक शीशे का महल तोड़ा था कभी... आज एक पत्थर क्या मेरी दहलीज पे आया, बचपना छूट रहा हैं मेरा....
~अनामिका