इस blog के माध्यम से मेरी लिखी हुई कुछ हिंदी और मराठी गजलें एवं कविताएँ "अनामिका" इस तखल्लूस के साथ दुनिया के सामने लाने की एक कोशिश... - Shraddha R. Chandangir, Nagpur
Friday 11 September 2015
खुदा
ख्वाहिश थी जिसकी बरसों से, मिला नहीं और जुदा हो गया
फरीश्ता समझा एक मुद्दत से जिसे, पलक झपकते ही खुदा हो गया।
~अनामिका