Saturday 1 August 2015

माँ

आग से कहासूनी हुई पर हवा को नहीं सुनाई
बिमारी से लतीफे बाँटी, दवा को नहीं सुनाई
कहीं पढ़ न ले वो मेरे सिने का दर्द इसीलिए
जमाने भर को सुनाई गजल, माँ को नहीं सुनाई।
~ अनामिका