इस blog के माध्यम से मेरी लिखी हुई कुछ हिंदी और मराठी गजलें एवं कविताएँ "अनामिका" इस तखल्लूस के साथ दुनिया के सामने लाने की एक कोशिश... - Shraddha R. Chandangir, Nagpur
Monday 31 August 2015
खामोश हवाएँ आवारा हो जाती हैं...
तुम सोच समझ के टहला करो खुले बालों से छत पे
खाँगखाँ खामोश बहती हवाएँ आवारा हो जाती हैं।
~अनामिका