Thursday 23 July 2015

सच्चाई

और किसी के नहीं अपनी ही जुबान के हाथ में होती हैं
जो इज्जत तीर पे रख ही दी तो कमान के हाथ में होती हैं।
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कुदरत के साथ खिलवाड़ तो वैसे इंसान करता ही रहता हैं
पर तबाही लाने की ताकत सिर्फ जहाँ के हाथ में होती हैं।
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चीजें सस्ती हो या महँगी, यहाँ तो दोनों ही पाईं जाती हैं
अब किसको कहाँ जगा मिलेगी ये दुकान के हाथ मे होती हैं।
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किस्मत और तकदीर से तो दुनिया में हर कोई ही आता हैं
पर मेहनत, सब्र और उम्मिद सिर्फ इंसान के हाथ में होती हैं
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पैसों के बलबूते पर यहाँ तुम किस को कितना भी नचालो
पर हर किसी की आखिरी डोर तो भगवान के हाथ में होती हैं।
~ अनामिका